पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/११८

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चोश्नस्लड़ाई

खतरे में नडालना चाहते हों तो जनरज्ञ यूलर यह बिल्कुल नहीं चाइते कि आपको वहाँ जाने फे लिए मजबूर किया जाय।

पर यदि आप इस समय डर छोड़कर वहाँ जाने केलिए तेयार

हों, तो सरकार आपका वहुत अहसान सानेगी। हम तो खतरे का सामना करना ही चाहते थे। वाहर रहना तो हमें पहले ही से नापसन्द था। इसलिए इस प्रसक्क का पबने रवागत

किया। किसी को न तो सोज्षी लगी और न अन्य किसी प्रकार

की चोट पहुँची।

इमारे दल के बहुत से अनुभव आनन्ददायक और मनोरंजक हैं पर उन सबको लिखने के लिए यहाँ पर स्थान कहाँ १ पर इतना अवश्य कह देना चाहिए कि हमारे दत् को, जिसमें अनघड़ माने जाने वाल्ते गिरमिटिये भी थे, अस्थाई गोरे दल तथा काली

फ्रौज्ञ के गोरे सिपादियों केसाथ रहने का प्रसंग कई वार आता

था। तो भी हमें कभी यह नहीं मालूम हुआ कि गोरे हमारे साथ

अनुचित व्यवद्वार कर रहे हैं,अथवा हमे तिरस्कार की दृष्टि से देखते हैं। गोरों के अस्थायी दृल्न में तो दक्षिण अफ्रोक्ना के निवासी गोरे द्वी थे|कढ़ाई के पहले वे उस आन्दोलन भेंभाग लेते थे जो भारतीयों के खिलाफ चल रहा था| पर इम समय सो उन्होंने यह देखकर अपने सारे विरोध भाव को झुज्ला दिया

कि इस आपतकाल में भारतीय 'अपने जातीय हुखो को अलग

रखकर भी हमारी सहायता के लिए दौड़ पढ़े हैं, में पहले ही यह कह चुका हूँकि जनरल वूलर ने अपनो बिलायत की डाक

मेंहमारे काम को तारीफ को थो। दल् के उन ३७ नायको को लड़ाई के चाँद भी दिये गए ।

- “छोडी स्मिथ-पर अधिकार करने के लिए जनरज्ञ बूलर नेजो

आशय किया था, वह पूरा होते ही--अथांत्‌ -दो महीने के,