पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/११९

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दक्षिण भ्रफ्ीका का सत्याग्रह

हर

अन्दर ही हमारे तथा गोरों के इल फो छुट्टी दे टीगयी। इसके

बाद भी लड़ाई बहुत दिन तक चलती रही | दम तोहर ये

कि हमें और भी मौका दिया जाय। इसलिए पट्टी देते समय

हमें यह कद्दा भीगया था कि अगर फिर ऐसी ही जबरदले

चढ़ाई करने का मौछा 'आवेगा तो सरकार 'आपका उपयोग अवश्य करेगी । ॥॒ दक्षिण अफ्रोका के भारतीयों ने उस लड्ाई में जोमहायहा की थी, वह यों देसा लाय तो बहुत भारी न यी। उसमें जाते का खतरा तो जरा भीन था। तथावि शुद्ध संकल्प का असर

जहर होता है | यदि वह ऐसे समय अनुभूव हो सर किसी ने उसकी अपेत्ञा भो न की हो और न आशा, तब तो

उसकी कीमत दूनो मानी जाती है ।लड़ाई के समय भारतीयों के विषय में उसी सदूभावना का वायुमस्डल चारों ओर पाया जाता था। यह अध्याय पूरा करने से पहले मुर्मो एक बात जरूर ईई

देनी चाहिए क्योंकि वह जानते योग्य हैं। लेहो स्मिथ को पेरा

ढाल्षा गया | वहाँ गिरे हुए अप्रेज़ों के साथ साथ वहीं के रहते

चाले कुछ रहे-सहे भारतीय भो थे थे जो व्यापारी गिरमिटिये रेलवे मेंकाम करने वाले अथवा गोरे गृहस्थों के यहाँ काम करने

वाले नौकर वर्गेरा थे। उनमें परभूसिंग (प्रमुर्तिह) नामक एक

गिरमिटिया सी था। घिरे हुए आदमियों कोऊपर के अधिकारी

कोई न कोई काम तो जरूर देतेही हैं। ऐसा ही एक वडा खतर-

माक और साथ ही अत्यन्त महत्त्वपूर्ण काम कुत्ती कहे जानेवाके परभूसिंग को भी सौंपा गया। लेडी स्मिथ के नजदीक की एक टेकड़ी पर बोअरों को “पौस-पौम” नाम की एक तोप रक्खी

हिहुईथी। उसके गोल्ों से बहुत-से मकान नष्ट हो चुके ये और