पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/१२०

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श्श्प्‌

बोश्रस्लड़ाई

कितने ही मनुष्य तथा पशु सारे भी गये थे। तोप से गोला छूरने और उसके अपने लत््य पर पहुँचने में कम-से-कम एक दो मिनट तो अधर्य दी क्ग जाते हैं। पर घिरे हुए लोगों को इतने समय का उपयोग करने का मौका सिल जाय, तब तो थे इतनी सी देर में भीअपने छिपनें के लिए कहीं आड़ हूँढकर अपनी जान बचा सकते हैं। परभूसिंग से यह कह्दा गया था कि वह एक पेड़ के नीचे वेठकर तोपवाली टेकरी परनज़र रक्खे। जब से तोर्पे दगने लगती, तबसे लेकर जब तक वे चज्ना करतों उसे वहाँ लेटना पड़ता था ।उसे यह आज्ञा थी कि जदाँ गोज्ना छूदने का भड़का देखा कि अपना घंटा वजा दे ।बस इसे सुनते

ही जिस तरह चूदेबिल्ली को देखकर अपने अपने बिल मेंभाग

जाते हैंठीक उसी तरह बेचारे नगरवासी उस सारक गोले के आगमन की सूचना पाते द्वीदौद़कर अपने छिपने की जगह ,में छिप जाते और अपनी जान वचाते | परभूसिंग की इस हर लय सेवा की प्रशंसा करते हुए लेडी स्मिथ के अधिकारी लिखते हैं.कि उसने वह काम इतनी निष्ठा-

पूषेक किया कि वह एक बार भो घटा वजाना नहीं भूला।

कहने की आवश्यकता नहीं कि स्वयं परभूसिंग को तो हमेशा खतरे में दी रहना पड़ता था। यह बात केबज् नेदाल में दी

प्रकाशित नहीं की गयी वल्कि ठेठ ज्ञाे कर्जन के कानों तक भी पहुँच गयी थी। उन्होंने पश्भूसिग की इस बहादुरी के उपतक्त्य

मेंउसे भेट करने के लिए एक काश्सीरी आउन भेजा और नेटाल सरकार को लिखा कि यह वस्तु बहुत बड़े समारोह के 'साथ

परभूसिंग को भेंट को जाय | जनता को इसका कारण वा

दिया जाय। यह काम डबेन के मेयर के लिम्मे किया गया था।

डबेन के टाउन हात़् के फौन्सि्ष चेम्बर मेंएक सावंजनिक सभा