पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/१२

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७ प्रास्ताविक 1 लड़नी पड़ेगी ? दक्षिण अफ्रीका में भी मुझे विरमगाम की क्या खबर थी ! सत्याग्रह की यही खूबी है। वह खुद हमारे पास चला आता है। उसे हमें खोजने नहीं जाना पड़ता । यह गुण उसके सिद्धान्त में हो समाया हुआ है। जिसमें कोई बात छिपायो नीं जाती, किसी तरह की चालाकी नहीं रहती और जिसमें असत्य की तो गुल्लायश ही नहीं, ऐसा धर्म-युद्ध अनायास ही आता है और धर्मनिष्ठ मनुष्य उसके स्वागत के लिए हमेशा तैयार रहता । पहले से जिसकी रचना करनी पड़े वह धर्म युद्ध नहीं। उसकी रचना और संचालन करनेवाला तो ईश्वर है। वह युद्ध ईश्वर के ही नाम पर चल सकता है और जब सत्याग्रही की बुनियाद बहने लगती है, वह बिलकुल निर्मल हो जाता है, चारों ओर अँधेरा छा जाता है, तभी ईश्वर उसकी सहायता करता है। मनुष्य जब अपने को एक रजकण से भी छोटा मानता है, तब ईश्वर उसकी मदद करता है । निर्वल को ही राम बल देता है इस सत्य का अनुमान हमें अभी होना बाकी है। इससे मेरा खयाल है कि वक्षिण अफ्रीका का इतिहास हमें सहायक हो सकता है। इस वर्तमान संग्राम में हमको अबतक जो-जो अनुभव हुए हैं वही अनुभव, पाठक देखेंगे कि, दक्षिण अफ्रीका में दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास में यह भी बतावेगा कि अबतक हमें इस युद्ध में निराश होने का एक भी कारण नहीं है। विजय के लिए हमें सिर्फ इसी बात की जरूरत है कि हम अपनी योजना पर दृढता के साथ अटल रहें। इस प्रस्तावना को मैं जुहू में वैम हुआ लिख रहा हास के ३० अध्याय यरवदा जेल में लिखे थे। मैं बोलता गया ।