यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
दत्तिण अफ्रीका का तत्याग्रह
११६
निमन्त्रित की गयी और उसमें परभूसिंग को वह वस्तु भेंट की
गयी। यह दृषटन्त हमेंदो शिक्षायें देता है। एक तो यह कि
छिसी भी मलुष्य को हम तुच्छ न सममे और दूसरा यह कि टरपोक से डरपोक आदमी भी अवसर प्राप्त धोते ही बोर बंत सकता है।