पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/१३७

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दुच्चिए भ्रक्मोक़ा का सत्याग्रए

कम

अधिफार का उपभोग फरने श्रौर उमफे लिए अपनों आत्मरत्षा के कर्तव्य पूर्णकरने हीफा सवाज्ष है। भारतीयों के जो सताये जाते हैं,उसका उपयोग भाषणकर्ता जनता को 3

किए भत्ते हो कर लिया करें पर राजनेतिर्न इंष्टि सें विनर करने वात़ा तो यही मानता और कहता हैकि भारतीयों केगुद ही दक्षिण अफ्रीका मेंदोपहप माने जाते दें. । भारतीयों

सादगी, बहुत समय एकसी मेहनत फरने की शर्फ्ति

'मितव्यथता, उनकी परक्ोऊ-परायणता और सहनशीशेता आदि

गुणों के कारण दी दक्षिण अमोका में वेअप्रिय हो गये ६ | परिचम की ज्ञातियाँ साइसी, अघीर, सॉसारिक आवश्यकता!

को बढ़ाने और उन्हें पूर्णकरने के प्रयत्न में निमस्‍्त, खते'ीने

की शौकीन, शरीर को मेहनत से बचाने के शिए भाहर, और

खर्चीली हैं|इमलिए उसको यह भय ब्रा रहता है कि यदि पूर्वीसभ्यता के हज़ारों प्रतिनिधि दक्षिण अफ्रोक्ा में घुत्त भर् सो परिचम के लोगों फो अवश्य हीपीछे हट जाना पढ़ेगा। दतषिण अफ्रीका मेंबसने वाली गोरी जातियाँ झरात्मह॒त्या करने के लिए

तोकभीतैयार ही न होंगी, और न इल जातियों के द्विमायती इन्हें इस खतरे मेंपड़न ही देँगे ”

मुझे विश्वास हैकि अच्छे-से-भच्छे और सुचरित्रवाव्‌ गोरों

जे जिस प्रकार इस दत्तोल् कोपेश किया है, ठीक उसी तरह

'निष्यक्ष चुद्धिसे मैंने भी उसे यहाँ लिख दिया है। में अपर सह

/ जरूर कह गया हूँकि यह तत्तह्ान फा आहम्बर मात्र है। पर इस से मेरा यद मतलब दरगिज्ञ नहों कि यद विज्कुल्त निःसार

है। व्यावद्वारिक दृष्टि अर्थात्‌ वात्कालिक स्वाये दृष्टि से देखा ुछहै।पर तात्विक दृष्टि सेअगर जायतोउसमें बहुत-छसार इसपर विचार करें तो वद अवश्य आहस्मर ही है । मेरो छोटो