पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/१३९

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दत्िण भ्रफ्ौया का सत्पाग्रए

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पडिया सबूत तो यह हैकि यदि भारतीय ग्मेशाके लिए मजदूर

धनरर ही रहेहोते वोउनके पिल्ञाफ फोई भान्दोशन ही ने हुआ द्वोता ।

हेअतः शव खास पात रह जातो है; व्यापार और बण।

हजारों गोरों ने लिया हैऔर छुबूज् हिया हैकि भारतोयों का

व्यापार छोठे-बलेटे अमल व्यापारियों केलिए हानिकर है; भर

गेहुंएरंग के लोगों के प्रदि दुर्माव तो अंग्रेजों फी हंट्टीडदटी में

व्याप्त होगया है। उत्तरो अमेरिका में,जद्दों किफानून में_मबडे

लिए एकसे हक रखे गये हैं,ुकर टो वाशिंगटन्‌ जैसाऊंची से

ऊंची शिक्षा पावा हुआ तथा अतिशय चरिप्रवान्‌ रह पुराष निसते पश्चिमी सभ्यता को पूरीतरद से अपना शिवा है, प्रेसिहेन्द रूमवेल्ट के दरबार मेंनहों जासझा और मे झात ठके

जा सकता है। वहोँ-के हवशियों ने पश्चिमी सम्यता के भागे सिर मुका दिया है,वेइंधाई भी हो गये हैं। पर उनको व्मही

चमझी उनका एक महान्‌ अपराध है, और उत्तर मेंयदि दैनिक व्यवद्दार मेंउतका तिरस्फार ही होता है.दो दक्षिण अमेरिका में

गोरे लोग उन्हेंकिसी अपराध के संदेह मात्र से जिन्दा बला देंते हैं।दक्षिण भप्रोका मेंइस दंढनीति का एक खास नाम भी है जो आजकल को अंग्रेजी भाषा मेंएस प्रचत्ित शब्द होरदा । बह शब्द हैं “लिन्च लॉ” | “हिन्च लॉ” अर्थात्‌ वह दुरहदोति मिसक्ो रू से पहले दर समा हो जाठो हैं और फ़िर

तहक्षीकात होती रहती है। लिन्च लाग्रक पुरुष ने पहले इस प्रथा को शुरू किया या । इसीलिए इसका नाम “लिन्द सो? पड़ा ।

इस विवेचन से पाठक भल्लीभाँति समझ गये होंगे कि

वैखज्ञान के बहाने ऊपर जो दलौलें दो गयी हैंउसमें कोई सार

नहीं है। पाठक इस पर से वह न समम चैंठेंकि जिन-जिन लोगों

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