नदत्तिण श्रफ्तीका का सत्याग्रह
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चाहिए। उसका सार नीचे लिखे अनुसार है। ८टान्सवाल् मेंरहने का हक रखते की इच्छा वाले हरएक
भारतीय पुरुष, स्त्री और आठ बर्ष या आठ वर्ष से अधिक
उम्र वाले वाज़्क या बालिका को एशियाई दफ्तर में अपना नाम लिखाकर परवाना प्राप्त कर लेना चाहिये। ये परवाने लेते वक्त
अपने पुराने परवाने अधिकारों को सोंप दिये जायें |नाम लिखाने की अर्जी मेंअपना नाम, स्थान, जाति, उम्र बगेरा लिखे जायें। नाम लिखने वाले अधिकारी को चाहिये कि अजंदार के शरीर पर की मुख्य निशानियों को नोट कर लें। श्रजंदर की तमाम उंगलियों भौर दोनों अँगूठों की छाप ले लें | इन भारतीय स्त्रो-पुरुषों का ट्रान्सवात् मेंरहने का हक रह समझा जाय जो
नियत समय के भीतर इस प्रकार अर्ज्ञी न करेंगे | अर्जी व करना भी एक कानूनन अपराध माना जायगा; जिम्तके लिये वह
व्यक्ति जेल मेंभेज दिया जा सकता है या उसका जुमांना हो सकता हैऔर अगर अदालत चाहे तो उसे देश निकाले को
सजा भी हो सकती हैं। बच्चों केलिए माता-पिता को अर्जो देनी चाहिए। निशानियाँ तथा उेँँगलियों को छाप देने के लिए
बच्चों कोअधिकारियों के पास पेश करने की जिम्मेदारी
भी उनके भाता-पिता के ऊपर ही रहेगी। यदि साता-पिताओं
ते इस जिम्मेदारी को अदा न किया हो तो बच्चों को चाहिए कि
उसको सोलह वर्ष की उम्र होते दी वेस्वयं उसे अदा न करें। और उस उपयुक्त अपराध के लिए जिन-जिन सजाझों के पान्न वे भाता-पिता समझे जावेंगे उन्हीं सज्ञाओं के पात्न वे बच्चे भी
- सोक्षइ' वर्ष की उम्र प्राप्त करने पर सममे जावेंगे। 'अंजंदार को जो परबाने दिये जायें, उन्हें अजंदार को चाहिए कि वह हर - किस्ती पुलिस अधिकारी को जहाँ और जिस वक्त वह मागे वहीं ्ब