पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/१५०

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६.3.& 4

विवेक का भदला--खूनी कानून

और उसी वक्त हांज़िर करदे। अगर घह ऐसा न कर सकेगा तो वह भी एक जुर्ससमंका जायगा, और कोर्ट उसके लिए उसका

या तो जुर्माना कर सकती हैया उसे कैद की सज्धा देसकती है। यह परवाना राहगौर मुसाफिर से भी माँगा जा सकता है । परवाना दूंढनेके ल्षिए अधिकारी ज्ञोग भारतीयों के मकान में भी घुस सकते हैं।ट्रान्सवाल के बाहर से आनेवाले रत्री-पुरुषों को चाहिए कि वे अपने परवाने नियुक्त अधिकारियों को ज़रूर बतादें जो उन्हें देखना चाहें ।अगर भारतीय कहीं अदा-

लत मेंकिसी काम के लिए जाबें या सहसूली नाके पर व्यापार

के लिए या बायसिकत्ञ रखने की इजाजत लेने के लिए जायें तो

वहाँ भी उनसे परवाना माँगा ज्ञा सकता है। अर्थात्‌ किसी भी

सरकारी दफ्तर मेंउस दफ्तर से संबन्ध रखने वाले अपने काम के लिए अगर कोई भारतीय जाय ते उसकी बात सुनन के पहले वहाँ का अधिकारी उससे परवाना माँग सकता है। परवाना पेश करने सेया उस विषय फो कोई भी ज्ञानकारी अधिकारी के पूछने पर बताने से इन्कार करमा भी एक अपराध माना गया है और इसके लिए भो कोट उसे क्लेद को सजा दे सकती है या जुर्माना कर सकती है! मुके जरा भी यद खयाल न था कि ससार के किसी भी द्विस्से

मेंस्वतस्त्र मनुष्यों केलिए इस प्रऊार का कोई कानून द्वोसकता है। मेंजानता हूँ किनेटाल के गरिरमिटिया भाइयों के विषय में परवाने फ़ेकानून बहुत सख्त हैं। पर वे तो बेचारे, स्व॒तन्त्र माने / दी नहीं जाते |तथापि यह कद्दा ज्ञा सकता हैकि इस कानून के जज

मुकाबल्षे मेंतोउनके कानून भी सौम्य हैं | उसे तोड़ने के अपराध में मिलनेवाली सज्ञाओं के मुकाबले में उनकी सल्ायें वो कुछ भी नहीं । लाखों का व्यापार करनेबाला व्यापारी इस १०