पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/१६३

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दक्षिण भ्रक्ौका का सत्याग्रह

श्प्र्ठ

को कावू में न रख सकूँगा। उसे में वहीं जान 'से सार डाल गा।” प्रधात सचिव थोड़ी देर वक सेठ हाजी हथीव के मुँह की ओर दाकते रह गये। उन्होंने कह्ा--'सरकार इस

वात का विचार कर रहो है कि यह कानून औरतों को लगायां जाय या नही |और यह तो में आपको अभी विश्वास दिल्ला

प्कता हूँ किऔरतों से सम्बन्ध रखनवाली वमाम घारायें

चापिस ले ली जायेंगी। इस विषय में आपके भावों कोसरकार

सम्रक सकती है, और उनकी कद भी करना चाहती है | पर अन्य धाराओं के विषय मेंतो मुझे दुःख के साथ यही कहना

होगा कि सरकार दृढ़ हैं, औररहेगी |जनरल बोथा चाहते हैं कि आप फिर भी अच्छी तरह विचार करके उस कामून को' मंजूर करें। गोरों के अस्तित्व केलिए सरकार उसे आवश्यक

सममती है! कानून के सध्यवर्ती देश को स्वीकार करते हुए"

यदि आप उसकी वारीकियों के विषय मेंकुछ सूचनायें करना

घाहँ तो सरकार उस पर जरूर गौर करेगी। और इस शिष्ट-संडल्"

से तो मेंयही सिफारिश करूँगा कि आपका इसीमें भला है कि

आप कानून को स्वीकार कर क्षें और वारीकियों के विषय में भत्ते दी सूचतायें करें /” प्रधान सचिष के साथ जो दलीलें

हुईंवे सव मेंयहाँ नहीं लिखता क्योंकि वे सब पीछे दीजाचुकी

है।दलीलें बही थीं, केवल उन्हेंपेश करते हुए 'साषा चदल दी! गयी थी। आखिर सर्चिव से यह कहते हुए कि हमें दुःखे है कि आपकी सिफारिश को हम लोग नहीं' मात संकते,--हममें से'

फोई भी इस कानून को स्वीकार तहों कर सकता तथापि सरकार

ऊे इस हेतुके लिए दम जरूर उसका अहसान मानते हैं कि वह

ल्ियों कोइस कानून के वन्धन से मुक्त कर देना चाहती है,

- शि्टमर्डल ने विदा ली। धब यह ऋहना कठिन हैकि खित्रयों की