पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/१७०

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सत्याग्रह” बनाम 'पेसिव रेजिस्टेस्स

भी देख चुके हैंकि मूलतः ही इन दो शक्तियों मेभारी भेद है।

इसलिए इस भेद को बरोर सममे बूमे ही अपनेको पेसिव

रेजिस्टेस्स और सत्याम्रही घनानेवाले दोनों एक दूसरे को

आपस मे एक दी मारे तो दोनों के प्रति अन्याय होगा ।! हम

स्व दक्तिण अफ्रोका मेंजब पेसिव रेजिस्टेन्स का शब्द का उपयोग करते थे तव ऐसे लोग तो बहुत थोड़े मिलते जो मताधिकार के लिए लड़ने वालो' भौरतों की बहादुरी और स्त्रार्थ-त्याग का हमपर आरोप करके हमें घन्यवाद देते, पर ऐसे बहुत थे जो हमें भी उन औरतों के जेसे जान-माज्ञ की हानि करनेवाले सममते।

और मि० दवाकित्स जैसे उदार और तित्यृद् मित्रों तक ने हमें

कमजोर समझ लिया | विचारशक्ति का इतना भारी असर होता

हैकि आदमी अपने को जैसे मानता है वेसा वह हो भी जाता है। हम तो कमजोर हैं,इसलिए दूसरे उपाय के अभाव में हम

पैसिव रेजिस्टेन्स काउपयोग कर रहे हैं, इस तरद अगर हम भानते रहेंऔर दूसरों कोमी सममते रहें तोहम कभी पेसिव रेजिस्टेन्स करके वलवान्‌ नहीं होसकते। बल्कि मौका मिलते ही हम इस कमजोरों के शत्त्र को छोड़ भी देंगे। इसके विपरीत * यदि हम सत्याप्रद्दी बनकर और अपने को बलवान्‌ मानकर उस शक्ति का उपयोग करें तो उसके दो उत्तम फल्न होगे ।बल के ही बिचाए को पुष्ट करते-करते हम अधिकाधिकू बत्षवान्‌ होते हैं।

और जैसे-जेंसे हमारा बल बढ़ेगा बेसे ही बेसे हमारे सत्याग्रह का तेज भी बढ़ेगा |उस शक्ति को छोड़ने का मौका तो हमें कभी आवेगा ही नहीं | दूसरे, पेसिव रेजिस्टेन्स में प्रेममाव के लिए

/स्थाठ नहीं, इसके विपरीत सत्याप्रह मेंबेस्भाव के ज्िए स्थान नहीं । इतना ही नहीं बल्कि वेरभाव अधर्म माना जायगा। पैसिव रेजिस्टेन्स में मौका मित्नने. पर शत्त्र का ईपयोग किया जा