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दल्षिण भ्रप्नीका का सत्याग्रह

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पूर्ण शासन (रिस्पॉन्सिवृत्न गवनमेस्ट ) वाले संस्थानों की घारासभा जो-जो कानूव पास करती है उनके लिए बादशादी सम्मृति केवज्ञ विवेक दिखाने के लिए दी की जाती है

यह बताने का भार मेरे जिम्मे आया कि यदि डेप्यूटेशन इंेंड भेजा जाय तो फौम को अपनी जिम्मेदारी और भी अधिक अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए। इसलिए मैंने अपने

मरहक्ष के सामने तीन-चार सूचनायें पेश कीं। एक तो यह कि यद्यपि उस नाव्यशालावात्नी सभा में प्रतिज्ञायें लेशीगयी थीं तथापि एक बार और प्रधान-प्रधान भारतव्रासियों से व्यक्तिगत

प्रतिक्षायें लेज्ञीजायें। जिससे जनता में जरा भी कोई शंका

उपस्थित हुईहोया कहीं कमजोरी नेघर किया होतो फौरन मालूम दोजाय । यह सुचना मैंने एक तो इसलिए की थी कि यदि ढेप्यूटे" शन्त सत्याप्रह के बल फो लेकर जायगा तब तो निर्भय वंचकर

जावेगा और इंग्लैंड में भीकौम का निश्चय भारत के और अन्य

संस्थानों के मन्त्रियों केसामने निर्मयतापूवक प्रकट कर दिया जाये । दूसरे, डेप्यूटेशन के खरे का प्रवन्ध पहले ही से द्वोजाना उचित है। और तीसरे, ेप्यूटेशन में कमसेकम आदमो जायें।

'कई बार यह देखा गया है किलोग यह सममते हैं. क्रि मितमे अझधिक आदमी जायें उतना ही अधिक काम होता है। इसी वात

को याद रखते हुए मैंने यहसूचना की। दूसरे मैंने इसके द्वारा

यह बताना चाह था कि डेप्यूटेशन में जानेदाल्ले केवल अपने

सन्मात के लिए नहीं बल्कि सेवा के लिए जावें! साथ ही खर्च

भी बचाया जाय। यह व्यवद्दार दृष्टि भी याद रहे। मेरी तीनों

सूचनाये मंजूर होगयों। दस्तज़त मी ले तिये गये। बहुत-से दृस्तज़त हुए ) पर उनमें भी मैंनेयह देखा कि समा में प्रतिज्ञा

सेनेवालों में सेकितने ही ऐसे ये जो अपने दस्वज़त देंवे हुए