पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/१७७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

दक्षिण प्रफौदा फा उत्पाग्रह

श्ण्र मेंसेएककिसानोंकीओर से, एक अनाविल्लोंकीतरफ से प्रतितिधि भेजे जावे ।इप प्रकार हरएक ज्ञाति अपना अपना दावा पेश कर रही थीं, परआख़िर सभो समझ गये और जनाब

हाजी वजीर अली और मेंएक मत से चुने गये! हाजी बजीर आधे मत्ायी फह्दे जासकते हैं। उनके पिता भारतीय मुसक्षमान थे भौर माता मल्ायी थीं। उनकी मादरी

जवान फो टच कह सकते हैं पर उन्होंने ऑँग्रेजी शिक्षा भी यह्दोंतक प्राप्त कर जी थी कि वेअंग्रेजी और ढच दोनों अच्ची तरह पोल सकते थ। अँग्रेजी मेंभाषण करते वक्त उन्हें कहीं भो ठहरना नहीं पढ़ता था। अखबारों में पत्र वगैरा लिखने की आदत भी रन्‍्दोंने कर लो थी |ट्रान्सवाल त्रिटिश एसोसियेशन

के वेमेम्बर ये।और वहुत दिन से साजनिक हलचलों मेंभाग

तेते आये थे। हिन्दुस्तानी भी अच्छी तरह वोल सकते थे। एक

म्षायी महिला केसाथ उनका विवाद हुआ था और उससे उनकी प्रजा का बढ़ा विस्तार था। विज्ञायत पहुँचते दी हम अपने

काम में गे। स्त्री को जो अर्जी देनी थी वह तो हमने

स्टीमर मेंही लिख ढाज्षी थी |उसे अब छुपा ली। ल्ार्दऐलिन

सस्याओं के सन्‍्त्री थे। हम हिन्द के दृदा से मिले | उसके द्वारा म्रिटिश कमेटी से मिल्रे। उन्हें हमले अपना सारा बयान सुनाया और कह्दा क्वि हम तो सब पद्चों कोअपने साथ लेकर

फाम करना चाहते हैं।यही सत्ाद दादाभाई की भी थी और

कमिटी को यही ठोक मालूम हुआ । इसी प्रकार हम मेंवेरजी भाषनगरी से मिलते । उन्होंने भो खूब सहायता फी। इनकी तथा

दाद्ाभाई को यह सल्लाह थी कि लाढे एलित को मिलने केलिए: हेप्यूठेशन जावे उस वक्त उनमें कोई तटस्थ तथा विख्यात ऐंलो

इरिड्यन भी शामिल्न हो जाय तो बढ़ा अच्छा हो। सर मैंचेरती