पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/१८२

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विलायत को डेप्यूटेशन

दष्तिण अफ्रीका में था।वह भारत में रह चुका था। इसका

ताम था मिमंदद्ध । अंग्रेज़ी मेंएफ कद्दावत है. जिसका अर्थ यह है कि भिन्‍्दें परमात्मा चाहता हैउन्हें वद जल्दी उठा लेता है।भर जवानी में इस परदुःखर्ंजन अप्रेज़् को यमदूत ले

गये । 'परदु:खमंजन! विशेषण ऊिसी खास उद्देश्य से ही लगाया

गया है। यह भल्ा भाई जब्र बम्पई में था तब्र अयथांत्‌ १६६७ मेंप्लेग फे भारतोय धीमारों फे घोच वेवडक होकर उसने काम

किया था और उनकी एसने सद्दायता को थी। छूत के रोग के रोगियों की सहायता करते समय मृत्यु सेजरा भी न डरना यह्‌

भाव तो मानों उमके खून मेंभर दिया गया था। जाति अथवा रंगद्वेप उसे छू तक न गया था। उसका स्वभाव बड़ा ही खतंत्र था। उसने अपना एक मिद्धान्त बना रखा था कि माइनॉरिटो

हआर्थात्‌ अल्पसंख्यकों केसाथ द्वीहमेशा सत्य रहता है। इसी मिद्धान्त के असुरूप वह जोहान्सबर्ग में मेरी ओर आकर्षित

हुआ। बढ कई वार विनोद में कहता कि याद रखिए आपका

पक्त बड़ा हुआ नहीं कि मेंने इसे छोड़ा नहीं, क्‍योंकि में यह्‌

साननेवाला हूँ.कि बहुमत के हाथ मेंसत्य भी असत्य का रूप

धारण कर लेता है। उसमे बहुत कुछ पढ़ा था। जोहान्सबर्ग के

एक करोडपति सर जॉन फेरर का वह खास विश्वस्त सन्त्री था।

शो्दटैंड लिखने में बाँका था। वि्ञायत मेंइस पहुँचे तब वह

खतायास कहींसे 'आ मिला। मुझे तो उसके घरवार की कोई

ख़बर नहीं थी। पर हम तो जनता के सेवक अथांत्‌ अखबारों

की चर्चा के विषय ठदरे |इसलिए उप्त भले अग्रेज्ष ने हमें

“ज्लैरन ढंढ लिया और जो कुछ सद्दायवा दो सकती थी बह करने की तैयारी वतायी |उसने कद्दा “अगर चपरास्तो का कास भी कह्दोगे तोजरूर करूँगा । पर यदि शार्टदेंड कोआवश्यकता श्र