पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/१८८

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बक्र राजनीति अथवा ज्णिक हे

को साफ-साफ कह देना था । यथाथेवः देखा जाय तो उत्तरदायित्वपुर्ण शासन वाल्ते संस्थानों के कानून के क्षिए भी सम्राट्‌ सरकार अवश्य ही जिम्मेदार है। त्रिटिश शासन-विधान के मूल

सिद्धान्तों कोउत्तरदायित्वपूर्ण शासन वाक्ले संस्थानों को भी अवश्य ही मेंजूर करना पढ़ते हैं, जेस्तेकिकिसी भी उत्तरदायित्वपूर्ण शासन रखनेवाले संस्थान की तरफ से कानूनन्‌ गुलामी की प्रथा का पुनरुद्धार नहीं किया जासकता है । अगर त्ाढे

एल्गिन ने खूनी कानूत् को श्रयोग्य समझकर हो रद किया हो--

ओर बेसे सममकर ही रद्‌ किया जा सकता है--तो उनका यह्‌

स्पष्ट कत्तेव्य था कि वे सर रिचर्ड साज्ञोमन को बुज्ञाकर यह कह देते कि ट्रान्सवात्न को उत्तरदायित्वपूर्ण शासन मिलने पर बह कभी ऐसा अन्यायपूर्ण कानून न बनावें, और अगर उसका यही विचार हो कि वह तो ऐसे कानून बनावेगा तब तो उसको

चह शासनसत्ता सौंपी जाय नहीं इस बात का सम्राट्‌ सरकार को विचार करना पढ़ेगा या उसे वह सत्ता केचल इसी शर्त पर दी

जाय कि वह भारतीयों के स्वत्वो की रक्ता करें |यह न फरते हुए लॉ एल्गिन ने ऊपर से तो भारतीयों की हििमायत करने का ढोंग रवा और उसी समय भीतर से सच्ची-सब्यी सहायता

ट्रान्सवाल् सरकार की द्वी फकी। और जो कानून स्वयं रद किया उसीको फिर पास करने के लिए उन्हें उत्तेजित किया ऐपी वक् शजनीति का यद्द पहला दी या एकमात्र उदाहरण नहीं। .जिसने

ब्रिटिश शासन-अणाली का साधारण भी अध्ययन किया है वह

और भी कितने ही ऐसे कानून बता सकता है।

इसलिए जोह्दान्सबर्ग में हमने केषज्ञ यद्दी बात सुनी कि लाडें

एल्गिन ने और सम्राद्‌ सरकार ने हसारे साथ धोखा क्षिया | हमें तो मदिरा में जितना आनन्द हुआ था उत्तना द्वीदक्षिण अफ्रीका