पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/१९४

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र्धह्‌

अहमद मुहम्मद काछुलिया

पी। फिर भी बतौर सावधानी के और जनता में अधिक जाप्रदि उत्पन्न करने के लिए और यह देखने के लिए भी कि जनता में

अगर कुछ कमजोरी घुस गयी हो तो यह कितनी गहरी है फिर ते प्रतिज्ञा लिबाने की आवश्यकता प्रतीत हुई । इसीलिए स्थान

त्थान पर समायें भरकर कोगों को परित्विति समकायो गयो और फिरसे प्रतिज्ञा लिवायो गयी। पर कही भी यह देखने मेंनहीं आया

कि जनता का उत्साह जरा भी कम हुआ है।

इधर जुलाई का मोना नजदीक आता जा रद्दा था । इसी समय ट्रान्सवाज्ष की राजधानी प्रिटोरिया में एक विराट सभा

फरने का निश्चय हुआ था। अन्य शहरों से भो प्रतिदेधि निम-

न्त्रित फिये गये थे। सभा प्रिटोरिया की मस्जिद के सामने के

सेदान मेंकरने का निश्चय हुआ था । सत्यामह शुरू होने पर तो

इतने आदमी उसमें आने लगे कि मकानों के अन्दर सभायें करवा हमारे लिए असम्भव दो गया । ट्रान्सवात्न में भारतीयों की संख्या १३,००० से अधिक न होगी | उसमें से १०,००० तो

जोहान्सव्ग और प्रिटोरिया मेंही बंठ गये थे। इनमें से भी पांच हजार लोगों का सभा में आना यह एक ऐसी वात थी जो

संसार के किसी भी हिस्से मेंबहुत बढ़ी और अत्यन्त सन्तोष-

जनक कही जा सकती है| सावजनिक सत्याग्रह अन्य किसी शर्त पर लड़ा भी नहीं जासकता । जिस युद्ध का मुख्य आधार

केवल अपनी हो शक्ति हैउसमें यदि उस विषय को सावेजनिक शिक्षा न दी जा सके तव तो वह युद्ध चत्त ही नहीं सबता।

इसलिए हमें कार्यकर्ताओं की इतनी उपत्यिति देखकर जरा भी

आश्चय न होता था | 8मने पदले हो से यह निश्चय कर लिया था कि सार्वजनिक सभायें सेदान में हीकी जायें । इससे एे तो खर्च कुछ न क्ृमता था और, दूसरे स्थानाभाव फे कारण