पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/१९५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

दक्षिण अमरीकाकासत्याग्रह

५3

किसी भी मनुष्य को निराश होकर वापिस नहीं लौदना पढ़ता

था। यहाँ पर यद्व भी कह देना आवश्यक हैकि ये सभी समय

प्रायः अत्यन्त शास्तिपूव॑क होती थीं। आनेवाले सभी ध्यान से

सुनते ये। अगर कोई बहुत दूर खड़े रहते और उन्हें भाषण

सुनाई न पढ़ता तो वेजोर स बोलने के लिए सूचना कर देते

थे। पाठकों को यह कहदन की आवश्यकता तो नहीं होगी कि इन

समाश्षों मेंकुर्सोबगेरा की व्यवस्था बिल्कुल नहीं रकखी जाती

थी। सभी ज़मीन पर बेठते थे। केवल अ्रष्यक्ष, पका और

दो-चार दूसरेआदमी अध्यक्ष केआस पास बैठ सके इतना बढ़ा

मंच खखा जाता था। ऊपर एक छोटी सी मेज और दो चार कुर्तियाँया स्टूल, बस । प्रिदोरिया की इस सभा के अध्यक्ष एसोसिएशन को प्रिढो”

रिया शास्रा के प्रधात सेठ तेयब हाजी ख़ान मुहस्मद थे । खूती कानून के अनुसार परवाना निकालने के दिन नजदीक आते का

रहेथे। भारतीयों मेंखूब उत्साह था पर फिर भी वेचिंतातुर ये।

उसी प्रकार उधर जनरत्ञ बोथा और स्मद्स भी उत्तकी सरकार

के पास अमोध वल्ष होते हुए भी चिंताप्रत्त हो रहे थे । एक

सारी कौस पर वश्षप्रयोग करके उसे झुकाना, इसे तो कोई भी अच्छी बात नहीं सप्क सकता ) इसलिए जनरत्ञ बोधा मेमि०

द्वात्कित को हमेंसममाने के लिए इस सभा में भेजा । मि०

हास्कित का परिचय मैंपिछले एक अध्याय मेंदे चुका हूँ। सभा ने उनका स्वागत किया | उन्होंने अपने भाषण मेंफह्टा--

“में आपका मित्र हूँ।आप यह जानते भी हैं। फहने की आवश्यकता नहीं कि आपके साथ मेरी सह्दाहुभूति है।अगर मेरे बस की बात द्वोती वो मेंआपकी माँग को मंजूर करा देता पर यहदँ के सर्वसाधारण गोरे समाज के बिरोध के विपय में: