पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/१९६

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अहमद मुहम्मद काछलिया'

आपको आज नवीन चेतावनी देने की आवश्यकता नहीं है। झाज में आपके पास जनरल घोथा का भेजा आ रहा हैँ। उन्‍होंने सुके इस सभा में उनका संदेश सुनाने की आज्ञा की

है । वे भारतीयों का सम्मान करते हैं । आपके भावों को सममते हैं पर थे कहते हैंमेंलाचार हूँ। ट्रान्सवाल के सभी गोरे उस कानून को माँगते हैं। स्वयं में भोउसकी आवश्यकता देखता हूँ। द्रान्सवाल सरकार की शक्ति से भारतीय भल्तोभाँति

परिचित हैं। इस कानून में सम्राद्‌ सरकार को भी सम्सति है। भारतोयों को जितना करना चाहिए था वे कर गुजरे और

उन्होंने अपने स्वाभिमान की रक्षा को | पर जिस हाज्त में

आपका विरोध सफल्ञ नहीं हुआ और कानून पास दो दही गया

उस हाज़्त में आपको चाहिए कि अब आप उसे मानें,

ओर अपनी वफादारों तथा शातिप्रियता का परिचय दें | इस कानून के अलुसार जो धारायें बनायी गयी हैंउनमें अगर कोई छोटा सा फेरफार कराना दो और उसके विषय में कुछ कहना

हो दो जनरल स्मद्स आपका कहना अवश्य ध्यान से सुनेंगे |” इस प्रकार सन्देश सुनाकर मि० द्वास्कित ने कद्दान-में भो आपको यही सलाह दूँगा कि आप जनरल बोथा के सन्देश को

मान लें । मेंजानता हूँकि ट्रान्सवाज्ञ की सरकार इस कानून के विषय मेंबढ़ी दृह है,उसका सामना करना मानों दीवाल से

अपना सिर टकराना है। मेंचाहता हूँ किआप उसका सामना

करके वर्बाद न हों और व्यथ के कष्टों कोनिमन्त्रण न दें|?

इस भाषण के एक-एक अक्षर का अनुवाद करके कौम को /सममा दिया गया | मैंने अपनी ओर से भी चेतावनी देदी, ओर मि० द्वास्किन करतत् भ्वन्ति केबीच वहाँ से बिदा हो गये । बढ