पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/१९७

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दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह

शहर

भारतीयों के भाषण शुरू हुए। इस प्रकार के, और सं

पूछा जाये हो इस इतिहास के नायक का परिचय तो मुझेअभी

देना दी बाकी है। जो वक्ता खड़े हुए उनमें स्वर्गीय अहमद

मुहस्मद्‌ काइुज्षिया भी थे । उन्हें तो मेंएकमवद्षिऔर

दुभाषिये की दैसियत से जानता था |वे अभीतक किसी आंदोक्षन मेंआगे दोकर भाग नहीं क्ेते थे। उनका अँग्रजीभाग

नेतक उसेयहाँ काज्ञानकामचक्षाऊ था।परअनुभव से उन्हों

घढ़ा किया कि जब वेझँग्रेज वकीलों के यहाँ अपने मित्रों को के जाते तब दुभाषिये का कामवेस्वयं द्वी करते थे। वैसे उनका

देशा दुभाषिये का नहीं था। यह काम तो वेवदौर मित्र के दी करतेये। पहल्ते वे कपड़े फी फेरी लगाते थे | बाद में उर्ोंने

अपने माई के हिस्से मेंछोटे पैमाने पर व्यापार शुरू किया |वे

सूरती 'मेमन थे । उनका जन्‍म सूरत बिल्ले में हुआ था।

सूरती मेमनों मेंउनकी खासी प्रतिष्ठा थी। गुजराती का ज्ञात

भीमामूलीदीथा।हाँ,अनुभव सेउन्दोंने उसेखूबबढ़ा! लिया जिस बातको था। पर उनकीबुद्धिइतनीतेज़थीकि वेचाहे घड़ी आसाती से समम लेते थे। मामक्षों कीउक्तकन इस प्रकार

सष्ट करते कि में तोकई बार चकित दो जाता। वकीलों फे साथ कानूनी द्ोलें करने में मीज़रा न हिचकते थे | उनकी कई दल्लीलें तोऐसी होती कि पकोलों कोभी विचार

फरना पढ़ता।

बहादुरी और एकत्िष्ठा में उनसे बढुकर आदमी मुझे ते तो दक्षिण अफ्रीका में मिज्ना औरन भारत में ।'फौम के , किए उन्होंने अपने सवेत्व कीआहुति दे दीथी। उनके साथ

जितनी चार मुझे काम पड़ा उन सब प्रसंगों पर मैंने उन्हें एक

. चचत्ती हो पाया। खय चुत्त मुमत्ञमान थे । सूरतो मेसन-मसजिद