पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२०१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

( ९५ )

पहली फूट १६०७ का जुलाई का महीना घीत चला। परवाने जारी

करने के दफ्तर खुले। कौमी हुक्म था कि हरएक चपतर पर खुले दौर पर पहरा दिया जाय अर्थात्‌ इन दफ्तरों पर

जानेवाजे रास्तों पर स्वयंतेवकखड़े रहेंऔर थे परवाना छेने के किए जानेवाकते त्ञोगों कोसावधान करें। हरएक स्वयंसेवक को एक प्रकार का विशेष चिह् देकर यह अच्छी तरह सममा दिया गयो था कि परबाना छेनेवाले किसी मी भारतीय के साथ वह असश्यता का वरतांब न करे। वह उसका नाम पूछे, अगर वह न बतावे तो स्वयंसेवक किसी प्रकार का बल-प्रयोग या असभ्पे

व्यवद्दार न १रे |उस कानून से भारतीयों को हानि होती थी चद्द एक कायज पर छुपा ली गयी थी और वे कागञ्न प्रत्येक स्वयप्तेवक को देकर उसे ऋद्ट दिया था कि वह पएशियाटिक

आफिस मेंजानेषाले दरएक भारतीय को एक-एक कागज दे दे और उसमें लिखी बातें भीसमझा दे। स्वयं॑मेदक पुलिस से

  • भी अद्व के साथ चर्ताव फरें। पुक्षिस गालियाँ दे, मारे, पीटे