पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२०३

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दिए अ्रमौफा फा सत्पाग्रए

रद

घसेवक फई प्रकार केलटफे और निर्दोष घात कहकर अपना दिल बहलाते ये| एक थार रास्ता रोफने फा अपराध छगाक

उन्हेंगिरफ्तार भी किया गया था। यहाँके सत्याप्रद मेंअसद्दयोग शामिक्ष नही था। अ्तएव यह फोई नियम न था कि में अपना घचाव ने किया जाय । फिर भी यह सामान्य नियम

जहर था कि कौम फे धन से वकीक्ष फरफे फोई अपना याद

ले फरे। अदालत में उन स्व॑सेवकों फोनिरपराध फहकर छोड़

दिया। इससे उनका उत्साह और भी पढ़ा।

इस प्रकार ययपि जो भारतीय परवाना लेना चाहते ये

उनके साथ भाग तौर से तथा स्वय॑-सेवकों की ओर से भी किसी

प्रकार का अविवेक या बलात्कार तो नहीं ऊिया जाता था, फिर भी

मुझेयह तो अवश्य स्वीकार करना पढ़ेगा कि इस युद्ध केफाएण

पुक दूसरे प्रकार का भी दक्ष खड़ा हो गया था। इस द् केलोग

स्वयंसेवक नहीं बनते थे। पर थे गुप्त रूप से परवाना ऐोनेवाज्ञों को मारपीट को धमकियाँ देते एवं अन्य किसी तरह उनकी

नुकसान फरते । यह तो दुख फो वात थी। इसफी खबर लगते ही फौरन उसे दवाने के लिए प्रयत्न किया गया। फशतः

धम्कियोँ शीघ्र ही कगभग अरृश्य हो गर्यी, पर उनका विल्केश अंत नहीं हुआ | घमकियों का कुछ कुछ असर भी कायम रहें

गया,और मैंनेदेखा कि उतने ही परिमाण में युद्ध को द्वानि भी पहुँची | जिन्हें भय था, उन्होंने फौरन सरकार की सद्दायता माँगी और उन्हें यह म्रिज्ञी भी। इस प्रकार कौस मेंविष घुसा, और जो कमनोर थे वे और भी अधिक कमजोर

बने । इससे विष और भी बढ़ा, क्‍योंकि कमजोरी का

खाभाविक गुण है घदला लेना | धमकियों फा असर

उतता नहीं था | पर लोकमत, और स्वयंसेव्कों फी उप