पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२०५

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ददिय अफ्रीका फा सत्याग्रह

श्र

यह सोचकर श्रद्धापूरक सत्याप्रद्रियों कोखबर कर देते हिभगर

येलोग दृढ़ बने रहेंतो वेभी रह सकेंगे। इस प्रकार एक बार

इस दक्षता के कारण कौम को यद्द खबर फौरन मिक्ष गयी कि

राठ को अमुक दुकान पर अमुक आदमी परवाने होने वाते हैं।

इसलिए ऐसे लोगों सेमिलकर पहले हम शोगों नेउन्हेंठीक-ठीक

तरह से समम लेने का यतन किया। उस दुकान पर पहुसा मी लग गया |पर आखिर आदमी अपनी दुवलता को कहाँ तक दवा सकता है ! रात के दस-यारह बजे कितने दो मुखियाओों

नेपरवाने ले लिये। दीणा का संगीव विसवादी हो गया। दूसरे ही दिन फौम ने उनके नाम प्रकट कर दिये | पर लज्ञा की भीद

होतीहै न।जब स्वार्थ का सवात्ञ था खड़ा होता हैतव भादमी शर्म-वर्म सब भूत जाता है, भौर वह गिर पढ़ता है। इस

पहली फूट के फारण करीब पाँच सौ आदमियों नेपरवाने लिये। कितने ही दिन तक वो परवाने छेने का कम खानगी मकातों में

ही किया गया | पर जैसे-जैसे शर्म कम होती गयी वैसे-ईंसे इन पोंच

सी में से कितने ही लोग खुले आम एशियाटिक आफिस

में अपना नाम लिखाने के लिए जाने लगे।