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पहला सत्याग्रही केदी लूहत-कदप्रयत्न करने पर भी जब एशियाटिक आफिस को ४०० से अधिक नाम नहीं मित्र सके, तब
अधिकारीगण इस निश्चय पर पहुँचे कि अब किसी को पकड़ना
चादिए | पाठक जर्मिरदन चाम से परिचित हैं!वहाँ पर बहुत-से
भारतीय रहते थे। उनमे रामसुन्दर नामक एक मनुष्य भी था।
यह बढ़ा वाचात् और बहादुर दीखता था। कुछ-कुछ श्कोक
भी जानता था । उत्तरी भारत का रहनेवाल्ा अर्थात् थोढ़े-बहुत
दोहे-धीपाई तो अवश्य ही उसे याद होने ही चाहिएं। और तिसपर परिडत कह्दा जाता था |इसलिए वहाँ के लोगों में उसकी बड़ी
प्रतिष्ठा
थी। उसने कई जगह भाषण भी दिये थे । भाषण
काफी जोशीक्षे होते थे। वहाँके कितने ही विध्मसन्तोषों भारतीयों ने एशियाटिक आफिस।में यह खबर पहुँचायी कि अगर रामसुन्द्र
परिडत को गिरफ्तार कर लिया गया तो ज़मिस्टन के बहुत से >भारतीय परवाना ले छेंगे। अधिकारीगण इस लातच को कदापि
रोक नहीं छकते थे। रामसुन्दर परिहत गिरफ्तार हुए । अपने दक्क का यह पहला ही मामला था | इसलिए सरकार और.