पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२१०

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श्ग्प्‌ पहला सत््पाग्रही फैदी

  • "तो मलुष्य भी अपने स्वभाव की विचित्रता को वदत्न सकता है।

हमें यह कैसे भालूम हो सकता है कि भाग निकलने के बाद रामसुन्दर को कितना पश्माताप हुआ ! अथवा क्‍या उसका भाग निकलना ही पत्चाताप का एक दृढ़ भमाण नहीं माना जा सकता (

अगर वह चेशर्म होता तो उसे भागने की क्या पड़ी थी! परवाना लेकर खूनी कानून के अठुसार बह हमेशा जेल-मुक्त रह सकता था। यही नहीं बल्कि बह चाहता तो एशियाटिक

आफिस का दक्षाल बनकर दूसरों को धोखा देसकता था ओर सरकार का प्रिय बन सकता था। यह सब न फरते हुए

अपनी कमजोरी कौम को बताने में वदशरसाया और उसने अपना मुँह छिपा लिया। अपने इस काये के द्वारा भीउसने क्रौम फी सेवा दी की, ऐसा उदार अर्थ हम क्‍यों न ्गावें ९