पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२१६

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पकड़-धकड़ यः हम देख घुके कि रामसुन्दर की गिरफ्तारी 'से

सरकार को ज़रा -भी फायदा नही हुआ । इधर फोम का उत्साह दिन-दुना रात-चौगुना बढ़ता जा रद्दा था।अधिकारी गण यह देखकर दंग रद्द गये। एशियाटिक विभाग के अधिकारी

तो अवश्य द्वी 'इण्डियन ओपीनियन! के लेख ध्यान पूर्वक

पढ़ते ये।युद्धकेविषय की एक भी बात छिपायी नहीं जाती थी। कौम की शक्ति, दुवेलवा बगेरा सब कुछ शत्रु, मित्र, और तटस्थ जो कोई भी जानता चाहता था अखबार पर से ज्ञान

सकठा था। अधिकारी लोग इस बात को पहले ही से समम

चुके थे कि जिस युद्ध का हेतुदुष्ट नहीं है,जहाँ छुल-कपट को

स्थान नहीं है,और जिस युद्ध कीविजय केवल सच्ची आंतरिक शक्ति पर निर्भर है उसमें छिपाने लायक कुछ होदीनहीं सकता | कौम का स्वाये दी इस बात की शिक्षा देता है कि यदि

दुर्बलतारूपी रोग को दूर करना है, तबतोवहजहाँकहींहो,

उसकी जाँच करके उसे प्रकाश मेंलाना चाहिए '। जब उन्होंनि देलाकिपत्रउसीउद्देश्यसेश्रत्ष रह है, तब तोःबह उनके लिए भारतीयों के वतमान इतिद्दास अर्थात आइने का फाम देने