पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२१७

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दच्षिण अप्लीका या सत्या्रह

शः

'हग गया। उसपर से उन्होंने यह दय किया कि जर्वर्तक पेकं खास-खास अगुआओों को गिरफ्तार नहीं करवा लेते दच पक

युद्ध का यज्ञ तोढ़ा सही जा सफता। इसलिए ९६०७ केद्प्तणार

मेंकितने ही अगुआओं फो अदालत में हाजिर होने केकर मिले । यह मुमे। छुबूज्न कप्ना चाहिए कि अधिकारियों ने इस व्यवद्दार से अपनी सभ्यता का ही परिचय दिया. था आए

वे चाहते वो अगुआओं को वारंट से भी गिरफ्तार कर थे। इसके बजाय केवल नोटिस भेजकर उन्होंने अपनी सभ्यता के साथ-साथ यह भी विश्वास प्रकट कर दिया कि भंग

नियत समय पर नोटिस मिले अपने को खेच्छापूर्वक सौंप देंगे। और वेज्ञोग अदालत उपस्थित हुए।

है

इनाम क्वीन नामक एक व्यक्ति जोह्मास्सयगे में रहनेवाले

थीनो ज्षोगों के अगुझा भी ये। जोद्दान्सबर्गे मेंउनकी संख्या

क्षोई ३००-४०० होगी। वे सभी व्यापार था छोटी-मोटी खेपी

का फ्राम करते थे । भारत क्ृषिप्रधान, देश है। पर मेरा यह

विश्वास हैकवि चीनी लोगों नेखेदी को जितना बढ़ाया हैउतनों

इम लोगों नेनहीं। अमेरिका आदि देशों में खेती फी को प्रगति हुईहैवह आधुनिक है और शसका ते बर्णन ही नहीं हे

सकता। उसी प्रकार पश्चिमी खेती को में अभी प्रयोगावस्था मे मानता हूँ। पर चीन तो दसारे ही जेसा प्राचीन देश है! और पहढाँप्राचीन फाल से ही खेती मेंतरक्की कीगयी है । इसलिए

चीन और भारत की तुलना फरें तो इमेंउससे कुछ शिक्षा मिल सकती है । जोहान्सबर्ग के चोतियों की खेती देखकर

उनकी बातें सुनकर तो मुे यही,मालूम हुआ कि चीनियों की

'ह्ञान और रोग भी हम ्ोगों से बहुत बढ़कर है। जिस जमीन

को हम ऊसर सममकर छोड़ देतेहैं,उसीमें ये अपने खेती के