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पकड़-पकढ़

सुर्म ज्ञान केकारण बीज बोकर अच्छी फसल पैदा कर 'सकते हैं। यहउद्यमशऔरीक्ष चतुर कौमभी उस खूनी कानून की

शेणी मेंआती थी। इसलिए उसने भी भारतीयों के साथ युद्ध में

शामिल होना उचित सममा । तथापि शुरू सेआखिर तक दोनों

कौसों का हर एक व्यवहार अत्ञग-अलग होता था । दोनों अपनी-अपनी संस्थाओं के द्वारा ऋगढ़ रही थीं। इसका शुभ फत्त यह होता है किजबतक दोनों जातियाँ अपने निश्चय पर टढ रहती हैंतबतक तो दोनों कोफायदा होता है । पर आगे, चलकर यदि एक फिसल भी जाय तो इससे दूसरी जाति को कोई द्वानि की संभावना नहीं रहती। वह गिरती तो हरगिज नहीं। आखिर बहुत से चीनी तो फिसत् गये, क्योंकि उनके

तेता ने उन्हेंघोखा दिया। नेता कानून के बश तो नहीं हुए पर एक दिन फिसी ने आकर मुमसे कहा किथेबिनाहिसाव-

“ किताव समझाये हीकहींभाग गये। नेता के चत्ते जाने के बाद अनुयायियों का दृदू रहना तो हमेशा मुश्कि्ष हीपाया गया है| फिर नेता में किसी मलिनता के पाये जाने पर तो

निराशा दूनी बढ़ जाती है।पर जिस समय पकड़ा-धकड़ी शुरू

हुईउस समय तो चीनी लोगों में घढ़ा जोश फैज्ञा हुआ था।

उनमें सेशायद्‌ दीकिसीने परवाने लिये हों। इसीलिए भारतीय नेताओों केसाथ चीनियों के कर्ता-धर्ता मि० कबीन भी शक नहीं किकुछ समय तक तो उन्होंने पकड़ा गया। इसमें

बहुत अच्छी तरद्द काम किया था।

गिरफ्तार किये गये जिन अन्य नेता का में यहाँ परिचय , दैना चाइता हूँवह हैंथंबी नायडू । थत्री नायडू तामिल सत्वन ये। उनका जन्म सारिशस में हुआ था । उनके माता-पिता

मद्रास इलाके से बद्दों आजीविका के लिए गयेहुएये| श्री,