पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२२४

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पकड-धकड़

संख्या मेंहोते हीनही । इसलिए ज्योंदी सादी फेंदवाले क्लेदी अधिक घने जे त्यों दी जेल के कपड़े खत्म' हो गये । हमें

इस विषय मेंकोई शिकायत तो करनी ही नहीं थी, इसलिए कड़ी करेदवाले क्रेदियों के कपड़े पहलने में भीहमने कोई उज़र नहीं किया । पीछे से आये हुए कितने ही भाइयों ने इन कपड़ों की अपेक्ता अपने दी कपड़े पहने रहना पसन्द किया । मुके! यह अच्छा नहीं मालूम हुआ । पर इस विषय में आग्रह करता भी अनुचित सममा।

दूसरे या तीसरे ही दिन से सत्याप्रहदी क्रेदियों के कुए्ड आने

लगे। वे तो जानवूम्कर गिरफ्तार द्ोते थे।उत्तमें सेअधिकाँश

तो फेरीवाले ये। दक्षिण अफ्रीका मे हरएक फेरीवाले को, फिर

वह गोरा हो था कात्ा, फेरी कापरवाना लेना पढ़ता है, जो उसे हमेशा अपने पास रखना पढ़ता है और जब पुत्षिस माँगे “तब'उसे बता देना पढ़ता है। अक्सर कोई न कोई पुल्निस का आदमी ते परवाना मांग ही बैठता थाऔर अगर नहीं मित्रा दो किया उस आदमी को गिरफ्तार | हमारी गिरफ्तारी के बाद

कौम ने जेल को भर देने का निश्चय कर दिया था । फेरीवाले इस काम मेंआगे बढ़े और उनके लिए गिरफ्तार होना भी आसान था । फेरी का परवाना नहीं बत्ताया कि हुए गिरफ्तार ।

इसे प्रकार गिरफ्तारियां होते-होते एक सप्ताह के अन्दर कोई १०० सत्याप्रद्दी कैदी होगये। और भी आ रहे थे। इसलिए” हमें तो घिना दी अखबार के मानों अखबार मित्न जाया करते

थे। ये भाईनित्य नईखबरें लाते | जब बहुत' से सत्याप्रही “गिरफ्वार होने लगे तब या तो न्यायाधीश थक गया, या जैसा कि हमने सोचा था सरकार की ओर से न्यायाधीश को सूचना,

मित्ती दोगी।कि आइदा सत्याप्रहियों को सादी : नहीं, सख्त -फैद"