द्विय श्रफ्रीका का सत्याम्रह
रत
की सजा दी जाये। जो हो, पर अब सत्याप्रहियों सख्त क्र.
की सजा मिलने लगी। आज मी मुझेयही मालूम होता दै
कौस का अनुमान ही सच्चा था । क्योंकि पहले पहल जिंत मामलों मेंसादी केद की सजा दी गयी थी, उसके चाद न तो उस
युद्ध मेंऔर त आगे युद्ध छिड़ने पर, स्त्रियों कोअथवा
पुरुषों को ट्रान्सवात्ष या नाताज्ञ कीएक सी अदालत में सादी
केद की सज़ा सिज्ली । अगर सब मेजिस्ट्रेटों कोएक ही प्रकार.
का हुक्म न मि्ता हो तो दर एक मेजिस्ट्रेट का प्रत्येक बार प्रत्येकपुरुष और स्त्री कोसख्त मजदूरी की द्वी सजा देना केवल संयोग ही हो वो सचमुच यह एक बढ़ा भारी चमत्कार है। जेल मेंसादी कैद के कंदियों को सुबह मक्की का दलियाः
मिलताथा। दल्षिया मेंकमी नमक नहीं रहता था। नमक हरणक
केंदी कोऊपर से देदिया जाता था| दोपहर को बारह बजे
पावभर सात, थोड़ा चमक और आधी छुटांक घी के साथ पाव
भर डवतरोटी भी मित्ञती थी। शाम को सक्की के आटे की
राव, और थोड़ी आलूकीतरकारी मित्रती। आलू अगर छोटे
होतेतोदोऔर बढ़े होते होएक मिल्ञता
था। इससे किसीका
ट नह भरता था। चावल चिकने पकाये जाते | यहाँ के डाक्टर पे इंछे ससाता माँगा गया। उसे यह भी सूचित
ससाला* भारत की जेल्षों में भीदिया जाता है। हाक्टरकियानेकिकढ़कझर
उत्तर दिया “यह हिन्दुस्तान नहीं है । क्ेदी को खाद फैसा मसाला नहीं मित्र सकता । खैर तब दाल
गयी, क्योंकि जो' भोजन हमेंदिया' जाता था उसमें स्नायुओं मांगी का पोष भी नहीं था। इस पर डाक्टर साहब ने उत्तर दियाद द्रव्य एक --/कैदियों हैडाक्टरी दलीतें नहीं करनो चाहिएं। तुम्र लोगों को स्वायुपक खुराक भीदीजातीहैक्योंकि सप्ताह मेंदोबार मक्कीः