पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२२६

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न ११

पकड़ -धकड़

के बदले शाम को सटर दी जाती है सप्ताद अथवा पखवाद़े में

भिन्न २ गुणवाज्ली खुराकें भिन्न २समय पर एक साथ लेकर यदि

मनुष्य का जठर उसके सत्व को आकर्षित कर सकता हो तब तो

डाक्टर फी दल्लीज्ष ठीक

थी। बात यह थी कि डाक्टर किसी

अकार हमारी बात सुनना दी नहीं चाहता था। पर सुपरिन्देन्डेन्ट "ने हमारी इस सूचना को संजूर किया कि हम अपना मोजन खुद ही पका लिया करें| थम्पी नायडू को हसने अपना पाकशास्‍्त्री

घनाया। चौके मेंउन्हें कितने दी कड़े करने पड़ते थे | साग -अगर फम मिल्षता तो और माँगते | यही हाल दूसरी वस्तुओं का भी था पर हसारे जिम्मे केबल दोपहर का भोजन पकाना किया गया था ।यद्द स्वतन्त्रता मित्रने पर भोजन कुछ-कुछ

सन्तोषज्ञनक मिलने क्गा ।

पर ये सुविधायें मि्रें थान मित्ञें, इममे तो बह्ी

निश्चय किया था कि इस जेल्ल की सजा को सुखपृष|द्वीबितावें|

सत्याग्रद्दी केदियों की संख्या बढ़ते-बढ़ते १४० से भी ऊपर चक्नी

गयी । हम सादी केदवाले थे इसलिए हमें अपनी कोठड़ी धगैरा साफ रखने के अतिरिक्त कोई काम न था। इसजिए हमने काम माँगा ।सुपरि्देन्डेन्ट ने कहा अगर मैंआपको काम बताऊँ तो वह

एक अपराध सम्रसा जायेगा, इसलिए मैंज्ाचार हूँ। स्वच्छता

रखने में दी आप सनमाना समय लगा सकते हैं |फिर ड्िल् - बगेरा कसरत करने को आज्ञा चाही क्योंकि हम देखते थेकि

सख्त केदवाले हृवशी कैदियों को भी ड्रिज दी जाती थी |इसपर

यह उत्तर मिला कि यदि आपके बार को समय मिले और वह कसरत कराना मंजूर करे तो मैंउसका विरोध नहीं करूँगा, पर मैंउसे बाध्य भी नहीं करूँ गा।उसे बहुत काम रहता है। और

- आपको संख्या वेतरह बढ़ जाने के कारण उसका काम और