पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२३५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

दस्तिण अ्रक्केका फा सत्याग्रह

रा

जो अदक्ते-बदले न जा सके। गोरों के सन्देह को दूर करके उन्हें

निरय करें| सरकार इस सिद्धान्त को नहीं छोड़ सकती।

हमने अपने आजतक केव्यवह्वार मेंइसे मंजूर भी किया है! इसलिए यदि उसका हम विरोध भी करना चाहें, तोभीजबंतक

इसके लिए नवीन कारण पैदा नहीं होते तबतक हस उसके प्रतिकृत्त नहीं जासकते । हमारा यह युद्ध उस सिद्धान्त को

तोड़ने के लिए नहीं, बल्कि कातून का कलंक दूर करने के लिए है। इसलिए हमारी कौम मेंश्राज जो नवीन शक्ति प्रकट हो गयी है,उसका उपयोग करने के ज्षिए एक बिल्कुज्ञ नयी बीत को आगे रख देंतब तो सत्याग्रही सत्य को कल्ल॑क छगेगा।

इसक्षिए यदि सच पूछा जाय तो इस सममोते को अछ्ीकार करना अनुचित दोगा। अ्रव इस बात पर विचार करें कि खूतो

फानून रद्‌ होने के पहले हो से हम अपने द्वाथ क्यों काट खर्लें !

क्यों अपने शत्र छोड़ बैठे ?इसका उत्तर तो बहुत सरल है। सत्याप्रदी ढर को दो सौ कोस पर रखता है। इसलिए वह किसी भी बात का विश्वास करने मेंकमी न ढरेगों। अगर बीस वार

उसके साथ विश्यासघात हो जाय तो फिर भी इक्कीसवों बार वह

विखास करने को तैयार हो जायगा, क्योंकि सत्याप्रहो अपनी

नाव विश्वास के हो सहारे पर चलाता है। इसलिए इस समय यह कहना कि समझौते का स्वीकार करना अपने हाथ कादनां

है सत्याप्रह का अज्ञान प्रकट करना है। मान लीजिए कि हम

सब नये परवाने ले लें,और वाद मेंसरकार विश्वासबात करे अ्रयात्त्‌खूनीकानून को रद्द न करे तो, क्या उप ससय हम फिर सत्याप्रद नई कर सकेंगे ?अगर हम परवाने ते भी लेंपर जब पेमाँगे जावे तत्र अगर उनके बताने से इन्कार कर दें तो उन पखानोंका मद्तत्त ही क्या रहा !और ऋर ऐसा करते हुए