पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२३६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

३३१

समझौते का विरोधे--मुझपर हमला

इजारों भारतोय ट्रान्सवाल मेंगुप्तरूप से घुस आधे तोसरकार और मारो क्‍या पहचान रहेगी !इसलिए अगर के पास उत्तकी

कानून हो और न हो तो भी सरकार बिना हमारी सहायता के

हमपर अधिकार नहीं जता सकती कानून का सतकत्र तो सिफ

यही हैकि सरकार हमपर जो नियन्त्रण रखना चाहती है, उसे

अगर हम न मानें तो सजा के पात्र समके जावेगे ओर साधारणतया द्वोता भी यही हैकि मनुष्य प्राणी अक्सर सजा के भय

से किसी भो नियन्त्रण को स्वीकार कर लेता है| पर सत्याग्रही एस सामान्य नियम का उल्लंघन करता है। अगर वह किसी कानून को सानता हैतो बह उसके दर्ड के मय से नहों घल्कि

स्वेच्छापूचक और यद् समकफर कि उससे जनता का कल्याण

होगा । और यही स्थिति आजकल हमारे इन परवानों की है। सरकार धोखा देकर भी इस परिस्थिति को नहीं बदक् सकतो |

इस स्थिति के उत्पन्नकर्ता हम हैंओर उसे दम ही बदल्ल सकते हैं ।जवतक सत्याप्रह का हृथियार हमारे हाथों में है, तबतक

हम स्व॒तन्त्र हैं,निर्भय हैं। और मुझे यदि कोई कहे कि आज

कौम में जो उत्साह हैवह फिर से नहीं आ सकता तो मैं उन्हें

कहूँगा कि आप सत्याप्रदी हों हैं;आपने सत्याग्रह को समझा

ही नहीं |उनके कहने का मतक्षब तो यह होगा कि आज जो

शक्ति दिखाई देरही है,. वह सच्ची नहीं, शराब के नरे जैसी फूठी और कज्षणिक है। यदि यह बात सच हो तो दम जीत

नहीं सकते । इतने पर भी अगर जीत हुईतो दम जीठी हुईबाजी

को गेंवा देंगे। मान क्षीजिए कि यदि सरकार खूनी कानून को

रद कर दे,और बाद में हम स्तेच्छा/पूवेक परवाने ल॑, और यदि

सरकार फिर खूती कामून'पास कर देऔर फिर इन्हीं परवात्ों , को लेने के लिए हमें मजबूर करे तव सरकार को कौन रोकेगा !