पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२३७

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दलिय श्रफ्ीका का सत्याग्रद

र्ररे

यदि आज हमेंअपने वल के विषय में शंका हो हो क्याउस समय भी ऐसी हो दुदेशा न होगी !इसलिए इस समझौते को

चाहे जिस दृष्टि से देखिए उमको संजूर करने में हमारी किसी

प्रकार की हानि नहीं | उल्टे कौम तो मजबूत ही होगी। मेरा गे यह भी विश्वास है.कि हमारी न्यायबुद्धि, तथा नम्नता देखने पर

हमारे विरोधी भी अपने विरोध को मन्द कर देंगे।” इस श्रकार इस छोटी-सी वैठक मेंजित एक दो आदमियों ने सममौते का

कुछ विरोध क्या था उनको मैंनेसन्तुष्ट फर दिया। पर श्रावी

रात वो द्ोनेवाली बडी सभा में जो गढ़बढ़ दोतेवाली थी उसका तो मुझे खयाज्ञ तक न था। मेंनेसभा को पूरा पढ़ छुताया और समझाते हुए कह्दा--/इस सम्मौते से फोम की जिम्मेदारी वहुत अधिक बढ़ जाठो है। यह बताने के लिए

कि हम छक्ष-कपट से एक भी बाहरी भारतीय को ट्रांसवाल

मेंलेना नहीं चाहते, इसे सवेच्छापूंक ,परवाने लेने होंगे। जो लोग पखवाने न लेंउन्हे अभी कोई सज्ञा नहीं दो जायगी पर

उसका भो यह अथ जरूर होगा किकौस सममभीते को मजूर नहीं करती |इसलिए शव यह आवश्यक है कि आप अपने हाथ ऊँचा करके यह कह दें कि आप ससमौत फो मानते है।

यही मैंचाहता भी हूँ।साथ दी धपपकी इस स्वीकृति का यह

अथे दोगा--क्म से कम मैं तोउसका यही अर्थ कहँगा, कि

आप ह्वाथ ऊचे करनेवाले, नये परवाने लेने.की व्यवस्था होतेही फौरन्‌उन्‍हेंले लेंगे भौर आज तक आप जो यह सममाने के लिएस्वयसेषक बन रहेथेकि-परवाने न दिये जाएँ सोअब उसके चंद आप स्वयस्रंघक वतकर परवाना ज्षेनेके ज्षिए लोगों को सम-

भावें | जिसकामको हसें इस ,समय-करना जरूरी हैउंसे अगर

इम कर ढालेंगे तभी इस जीत का सच्चा-सच्चा फत्त हमेंमिलेगा!