पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२३९

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द्षिण अ्र्तीका का सत्याग्रह

रर४

अगर उन बारीकियों को देखा करते तो वे आजतक भो पूरीन होतीं ।मेरे उस उपाय से कौम भो फौरन समझ गयो। पर आज की स्थिति जुदी है। मेंज़ोर देकर कहना चाहता हूँकि नो बाद

फत्न अपराध थी वही आज नवीन परिरिथति में भलमवसहए

और शील का चिन्द होगयो है। अगर आप मुझे बलपुवक

सक्ञाम करने के लिए मजबूर कर और में उसे मान जे,

आपकी तथा ख्बयं मेरी दृष्टि में में गिर जाऊँ। पर यदि ई विपरीत मेंआपको अपना भाई अथवा इन्सान, सममकर खुशी से सज्ञाम करूँ तो इससे मेरो नम्नता और खानदानी आर्हिर

होगी और खुदा के दरबार मेंभी यह बात मेरे पत्त में लिसो

जायगी। यही दल्ीत मैंदस अँगुलियों वाल्ली बांठ के लिए भी

पेश करता हूँ।” ४ “हमने सुना है कि आपने कौम को धोका दिया है और

१५००० पौंड ज्ञेक्र उस जनरक्ष स्मदूस के द्वाथ बेंच दिया है।

दम कभी अपनी अंगुज्ियों की निशानी नहीं दंगे और न झिसी को देनेदेंगे। में खुदा कीकसम खाकर कहता हूँ कि जो

आदमी एशियाटिक आफिस मेंजाने फो आगे बढ़ेगा उसे में जान स मार दालूगा।”

/पढान भाइयों के भावों को मैं समझ सकता हूँ ) भुमे विश्वास हैकि इस बात को तो कोई नहीं मान सकता कि में रिश्वत लेकर कौम को बेंच दूँ गा।जिन्होंने इसबात की कसम

खाली हो कि हम दसों अंगुज्षियों कीछाप नहीं देंगे, वे मे

दीनदें । उन्हें कोई मजबूर नहीं फर सकता। यद् घात तो मे

पहले ही समझा चुका हूँ। और जो कोई-फिर थे पठान हें

या और कोई अपनी अगुल्ियों फो छाप बिना दिये परवान ज्लेन

चाहते हों, उनकी पूरी सहायता स्वये में करूंगा । में विश्वास