पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२४३

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दरत्तिण श्रफ्ैका का सत्याप्रट

श्क्

को छुड़ाने केलिए जाना जहूरी था । सात बजे में जेल पर पहुँच गया। सुपरिन्टेन्देन्ट फो टेक्कीफोन से हुक्म मिंक्ञ गया था। वह भेरो राह ही देख रहेथे। एफ घण्टे भर के अन्दर

तमाम सत्याप्री की छोड़ दिये गये | हमारी कमिटी के

समभापाह बगेरा कई खाम-खाम लोग उन्हें तने फे लिए आये'

ये। जेज्ञ से हमारा जुलूम पेदश समात्थान पर गया। वह्दोंसमा

। वह दिन और उसके बाद के दो-चार दिन यों द्दी शआदि मेंतथा लोगों फो सममाने में ज्ञग गये। जैसे-जैसे समय बढ़ता गया वेसे-बैस एक ओर तो सममौते फा रहस्य

अधिकाधिक लोग मममते तगे और दूसरी ओर शलदफ्दमी

सीघद़ती गयी। उत्तेजना फेकारणों फोतोदमदेख दी 'पुके

हैं।उनके अतिरिक्त जनरत् स्मदस के लिखे पत्र में भीगलत फहमी के लिए काफी मसाला था। उसके फतस्वरूप जो दलीरें पेश फी जाती उन्हेंसममाने मेंमुझेबढ़ाकष्टहुआ ।उसके मुका-

पल्षेमेंवहकष्टकुछभीन थाजोमुमे,युद्ध चल्नरहाथा ते;

सहन करना पढ़ा'था । युद्ध के समय तो एक कठिनाई होतीहैकि हमने अपना दुश्मन सान लिया उसके साथ किस प्रकार का

व्यवद्दार किया जाय ९ पर उसे हम भासानी से पार कर जाते

हैं, क्योंकि उस समय आपस के माढ़े, अविश्वास बगैर

विल्लुत्ञनहींअथवाबहुतफम्रपरिमाण मेंहोते हैँ।परयुद्धके बाद बाझ आपत्ती के अदृश्य होते दी मीतरी भेदभाव भादिं फिरप्रबत्ञ होजाते हैं। यद्यपि ज्दाई का अन्त सन्तोषजनक

इंआ हो तो भी उसमें दोष निकज्ञना सदा आसान द्ोता है भोर इसकामकोकईज्ोग उठाछेते हैं।और यहजहाँ शासन ध्यवस्था प्रजातत्तात्मर होती हैवहाँ सबके--छोटे गढ़ों के सवालोंकाउत्तरदेनापढ़ता है।अपने मित्रोंकीगज्ञतफइमी