पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२४४

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श्र

समभौते का विरेष--सुमपर इमला

(र करने में जिंतना अनुभव मलुष्यफो प्राप्त होता है उतता

गरुकेसाथकद़तेहुएरहींप्राप्तहोसकता । प्रतिपक्षीकेसाथ

शढेते हुएआदमी को एक प्रकार का सशा चढ़ जाता हैऔर

उसमेंवह सस्तरहताहै।परजबसिन्नोंमेंरज़्तफहमी अथवा

विरोध पैदा होजाता है.तब वह एक असाधारण बात मानी

लाती है,भौर हमेशा दुःख हीदेतो है।तथापि मलुष्य की परीक्षा ऐसेहीसमय परहोती है|मेरातो यही अनुभव है बल्कि

मुझेयह विश्वास हैकि मेअपनी तमाम आनन्‍्तरिक शक्ति ऐसे

ही मौकों पर प्राप्त करसकता हूँ। जो क्षोग युद्ध का सच्चा स्वरूप लद़ते-ख भीड़ते नहींसमझ पाये थे; वेसममौतेकेसमय और कितने हीसमझौते केबादसमके। पठानों से मेराविरोध आगे नहीं घढ़ा। इस प्रकार दो-तीन महीने मेंएशियाटिक झाफिपत ऐच्छिक

रबानेदेंनेकोतेंयारहोगया। परवानेकारुपबिल्कुक्ष बदल

पया था। उसका ससविदा चलाते समय त्याप्रही मर्ठत् से,

मशबिरा लिया गया था।

(० फ्री (६०८ के दिन हस कितने ही ज्ञोग ' परवाना लेने के लिएजाने कोतैयार हुए |क्षोगों कोलृदसममा' दियागयाथाहिथेअपनेआपदोपरवानहें।यहभीतय हो चुका था कि पहले दिन खास-सास त्षोग ही परवान हें |उसके होत कारण थे। एक तोयहकि छोणोंकेदिकसे्ल भ्रयकोभगा देंदूसरेयद्दउद्देश्यथाकिएशियाटिक आफिस केजषोग काम साईसेफरतेहैंयानहींऔर तीसरा, कौमकी देखभा को ल भी करना।मेरादफ्तरहीसत्याप्रद आफिस था।हेंवहाँ पहुँचा . किमैंनेआफिस कोदोवके ार बाहर भोरआम औरएसके मित्रोको ं देखा। मीर आत् मेरापुराता 'मबक्किल्ल था।अपने