पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२४६

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श्शर्‌

समभौते का विरेष--मुभपर इसला

कट्टीरहा था कि इदते मेंपीछे से मेरी खोपड़ी पर एक लाठी

गिरी। मेंतो बेहोश होकर श्रौधे मु गिर पढ़ा। इसके बाद क्या

हुआ सो मेंनहीं लॉनता । पर मीरआाक्षम और उसके साथियों ने भौर भी ज्ञाठियोँ और जञातें पु मारी। कितनी हीईसप मियाँ और थम्ी नायहू नेअपने ऊपर मेज्ञी ।इसलिए इसप प्रियां और

थन्‍्त्री तायडू दोनों को थोड़ी थोढ़ी चोट आयी। इतने मेंतो चारों

ओर शोर मच गया। राहगीर गोरे इकट्ठा दो गये। मीर आत्म और उसके साथी भागे, पर गोरों ने उन्हें पफड़ जिया । तबतक

पुक्षिम भी था पहुंची । वे पुलिस के सिपुदं कर दिये गये । बा्ष मेंही एक गोरे काआफिस था, वहाँ मुझे उठाकर ले गये। थोडी देरमेंजब मुझेहोश आया तब मेंनेअपने चेहरे पर कु

हुएखेरेंड ढोक को देखा । उन्होंने पूदरा--“अब कैसे हो?” मैंने इसकर कहा“ तो ठीक हूँपर मेरे दात और पसलियों मेंदई

है।सैर भरकम कहाँ हैं!” उत्तर मित्रा वह और उसके साथी गिरफ्तार होगये। मैने कहा “वे तो छूटने चाहिएँ । डोक

उत्तर दिया--“यह सब होता रहेगा । यहाँ तो आप एक अप-

हर केआफिस मेंपढ़ेहुए हैं,आपका होंठ फट गया

हैपुक्षिमअखतात ले जाना चाहती है। पर अगर आप मेरेयहाँ

हर | मिसेज और मेंअपनी शक्तिभर आपकी शुभ्रषा करेंगे। ,

> अहा--'मुझे वो धाप ही के यहाँ ले चलो । पुलिस की लिए मेरी ओर से इपका अहसान सात

शोजिएगा। उत्त जञोगों को कहिएगा कि में आपके यहाँ आना ३20 /” इतने में एशियादिक आफिस के अधिकारी भी | । एक यही में छा्षकर मुझे इस पादरों सब्जन के

न पर लेगये। ढक्दर को भी बुक्लाया गया। पर इसके हेही मैंनेपशियाटिफ अधिकारी मि० चसनी सेकहा।-- मैं