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समझौते का विरोध--मुझपर हमला

रहें है,या मेरेसम्बन्धी होते तो इससे अच्छी सेवा करते पाठक यह भी खयाल न कर लें कि इसने जाहिरा तौर पर भारतीय

आन्दोलन का पत्त प्रहण करने तथा मुझे अपने घर में स्थान

के फारण उन्हें कुछ सहना न पढ़ा होगा। वे अपने पन्य

के गोरों के लिए एक गिरजाघर चज्ञा रहे थे। उनकी आजीविका

इन पन्थवालों के हाथों में थी । सभी लोग तो उदार दिल

केहोते नहीं हैं।उन लोगों के दिल में भोभारतोयों के खिज्ञाफ

कुछ भाव थे ही। पर डोक ने इसकी कोई परवाह नहीं की। हमारे परिचय के आरम्म हो मेंएक दिन मैने हम नाजुक विषय

पर चर्चा छेडो थो। उनका उत्तर यहाँ लिय देने योग्य है। उस्होंने कह्दा-ेरे प्यारे दोस्त, ईसा के धमे को आपने क्‍या

समझ एसा है! में उस पुरुष का श्रतुयायों हूँ जोअपने धर्स

केजिए फांसी पर कट गया और जिसका प्रेम विश्वश्यापी

था। जिन गोरों के मुफे छोड देने का आपको डर है,उनकी आंखों मेंइसा के अनुयायी को हैसियत से जरा भी में शोमा

ना चाहँ तो मुझे! जाहिरा तौर से अवश्य ही इस युद्ध में भाग क्षेना चाहिए और इसके फलस्वरूप यदि वे मेरा त्याग भी करें के इसमें जरा भी घुरा नमानना चाहिए । इसमें शक नहीं मेरो आजीविका का आधार उनपर हैपर आप यह कद्ापि

ने सम बैठे किआजोविका के लिए मैंने उनसे यह संत्रंव किया

था वेही भेरी रोजी देनेवाले हैं। मेरी रोजी का देनेवरा्ना तो

परमात्मा है। यह है केवल निमित्तमात्र। मेरा उनका सम्बन्ध जैमय हमारा उनका यह ठहराव हो चुका है कि मेरी

धार्मिक ख़तस्त्रता में कोई हस्तक्षेप न करेगा। इसल्लिए आप

मेरी ओर से निश्चिन्त रहें । मैंभारतीयों पर अहसान करने के

  • इस युद्ध मेंसम्मिलित नहीं हो रद्द हूँ। में तोइसे अपना