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इतिहास

हवशियों का घर्मं ईसाई पाद्रियो के मत के अनुसार कुछ नही था और न है| पर घर्म काव्यापक अर्थ लें तोकद सकते

हैं किवेएक ऐसी अलौकिक शक्ति कोजरूर मानते हैं, जिसे वे पहचान नहीं सकते, और उसकी पूजा करते हैं। वे उस शक्ति से दरते भी हैं। उन्हे यद््‌ भी घुँघले तौर पर जान पड़ता हैकि शरीर के नाश के साथ मनुष्य स्वेथा नष्ट नहीं होजाता। यदि

नीति को हम धर्स की बुनियाद मानें तो वेनीति के कायल्न हैं ओऔर इसलिए हम उन्हें धर्मवान्‌ भी कह सकते हैं। सच और भ्रूठ का उन्हे पूरा खयाज्ञ है। अपनी स्वाभाषिक अवस्था मेंवे जिस हद तक पालन करते हैं. उस हद तक गोरे अथवा हम

लोग पालन करते हैं या नहीं, इसमें सदेह है । मन्दिर आदि उनके नही होते । दूसरे लोगों की तरह उनमें भी बहुतेरे बहस पाये जाते हैं। शरीर की सजबूती में यह जाति संसार की

किसी जाति से कम नहीं |फिर भी पाठकों को आश्चय होगा कि यह जाति.ऐसी डरपोक देकि एक गोरे बच्चे को देखकर भी डर जाती हूँ। यदि उसके सामने कोई पिस्तौल उठा लेता है तोया तो बे भाग जाते हैं या ऐसे मूढ़ बन जाते हैं कि उनके पेरों में भागने को भी ताकत नहीं रहती | इसका

कारण अवश्य है। उनके दिल्ल में यद्द बात पेठ गयी है कि

मुट्ठी भर गोरे जो ऐसी बढ़ो जंगली जाति को अपने आघधीन कर

पाये हैं,उसमे कोई बादू जरूर होना चाहिए। वे भाल्ा फेंकना

और तीर चज्नाना खूब जानते थे। पर अब वे सब छीन लिये गये हैं। बन्दूक उन्होंने न कभी देखो न चल्ञायी |न दियासलाई दिखानी पढ़ती है,न उँगली चलाने केमिवा कोई क्रिया करनी पड़ती हैफिर भी एक छोटी सी नल्ली से एकाएक जोर की आवाज़ द्वोती है,ज्वाला सी दिखायी देती है और गोली लगकर