पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह २३ देखते ही देखते आदमी धड़ाम से गिरकर मर जाता है इसका मर्म उनकी समझ मे नहीं आता। इससे वे के डर से बदहवास रहते हैं। उन्होंने और हमेशा इसके चलने उनके बाप दावों ने देखा है कि ऐसी गोलियों ने आज तक अनेक निराधार और निर्दोष हवशियों के प्राण हरण किये हैं। इसका कारण बहुतेर हबशी श्रम तक नहीं जानते । इस जाति में समाज सुधार धीरे-धीरे घुम रहा है। एक ओर से सज्जन पादरी, अपनी समझ के अनुमार, ईसा मसीह का सन्देश उन्हें पहुँचाते हैं, उनके लिए मदरसे खोलते हैं और उन्हें मामूली लिखना पढ़ना मिलाते हैं। इनकी कोशिश से कुछ सुशील हवशी तैयार भी हुए । परन्तु ऐसे कितने ही लोग जो अबतक अक्षर ज्ञान और समाज-सुधार से परिचय न रखते थे ढोंगी भी हो गये हैं। शायद ही कोई ऐसा शो शराबखोरी के दुर्व्यसन से बचा हो, जिसका वास्ता इन सुधारों से पड़ चुका हो। उन हट्ट कह मस्त लोगों के सिर जब शराब का नशा सवार होता है तब वे पूरे पागल हो जाते हैं और सब कुछ कर गुजरते हैं। सुधारों की जहाँ बढ़ती हुई कि बरूरतें वर्दीीं। यह दो और दो, चार के घरावर सत्य है। अपनी जरूरतें बढ़ाने के लिए कहिए अथवा उन्हें मेहनत की कीमत सिखाने के लिए कहिए, सबको हेड टैक्म कुवा-टैक्स देना पड़ता है | यदि ये टैक्स उन पर न लगाये जायें तो यह खेतों में रहनेवाली कौम पृथ्वी के पेट के अन्दर सैकड़ों राज गहरी खानों में सोना और दोरा निकालने के लिए क्यों उतरें और यदि खानों के लिए उनकी मजदूरी सुलभ न हो तो सोना और हीरे पृथ्वी के उदर में ही न रह जायें ? उसी प्रकार उनपर कर बैठाये बिना यूरोपियन लोगों को नौकर मिलना भी