पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२६०

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गोरे सहायक

केशनवैक जंजीबार तक मेरे साथ आये थे । पोक्षक के साथ वह्‌ भी गिरफ्तार दोगये थेऔर जेज्न कीसेर कर आये थे । अन्तः में जबदष्षिण अफ्रीका छोड़कर गोखले से विज्ञायत में मिल

कर मेंभारत ज्लौट रहा था तब कैज्नबैंक भी साथ में थे। पर लड़ाई के कारण उन्हेभारत आने की आज्ञा नहीं मिली । अन्य

पमतों के साथ इन्हें भोनजर बन्द रक्खा गया था |महायुद्ध के समाप्त होते ही बह फिर जोहान्सबर्ग चले गये हैंऔर उन्होंने

भपता धंधा शुरू कर दिया है। जोहान्सबर्ग मेंसत्याप्रद्दी कैदियों के बुंटुस्वों को एक साथ रखने का विचार जब हुआ, तब मि०

बेकनेअपना ११०० बीघे का खेत कौम को योंद्दी बिता

किया लिये सौंप दिया । इसका विशेष विवरण पाठक आगे

पत॒कर पढ़ेंगे।

अब एक पवित्र बाला का परिचय देता हूँ। गोखले ने उसे

जोप्रमएयत्र दिया उसको पाठकों के सामने रक्खे बिला मैंनहीं. े सफता। इस वाला कानाम मिस श्लेजीन है। मनुष्यों को

हचानने की गोखले की शक्ति अदभुत थी। ढेलागोआबे से-

जेजीबार तक बातचीत करने के लिए हमें अच्छा शान्तर समय _थ था। दक्षिण अफ्रीका के भारतीय तथा अंग्रेज नेतापे उनका अच्छा परिचय हो गया था। इनमें से भुझुय पात्रों

पा पे सूह्म चरिक्रचित्रण कर बताया और मुमे! बराबर सबसे पहला स्थान दिया। “इसका जैसा निर्मल अंतःकरण, काम

मद ई कि उन्होंने मिस श्लजीन को भारतीय तथा गोरों मेंभी

विश ता झा मैंनेबहुत थोढ़े' कषोगों मेंदेखी है। और

धो बाप आशा प्रज्ञोभनके इसे भारतीय आन्दोलन में इसः _पर्षेण् करते हुए आरचय चकित होगया ' हैं।इन सभी शुर्खों के साथदेख-साकरथ तोउसमें की होशियारी और फुर्ती-