पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२६१

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इतिय अ्रफ्रीका का सत्याग्रह

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लापन उसे इस युद्ध में एक अमूल्य सेविका बना रह है। मेरे फहने की आवश्यकता तो नहीं, पर फिर भी कहे देताहूँकि तुम इसे मतछोड़ना ।” मेरे पास एक रकाच कुमारी ओर टइपिस्ट का काम करती थी। उसकी भी प्राम्ाणिकता

और नीतिशीजञता बेहद थी। मुझे अपने जीवन में योंतो

कट अतुभव हुए हैं। पर इतने सुन्दर चारित्यवान्‌ अंग्रेज तयां भारतीयों से मेरा सम्बन्ध हुआ है कि मेंतो उसे सदा अपना

अद्दोभाग्य ही मानता आया हूँ। इस र्काच कुमारी

ढिक के विवाह काअवसर भ्आाया और उम्रका वियोग हुआ। मि० क्रैलनवैंक मिस श्लेजीन को लाये और मुके कहने के

“इस बाला को इसकी माँ ने मुके सौंपा है। यह चतुर है;

प्रामाणिक हैपर इसमें मज्ञाक कीआदत और स्वाधीनता है से ज्यादा है। शायद्‌ इसे उद्धत भी कह सकते है। आप समाव सकें तोइसेआप अपने पास रब्खें। में इसे आपके पास

तनख्वाह के ज्िए नहीं रखता।” मैंतो अच्छे शाटटद्रैंड टाईपिस्ट को २० पोंड मासिक वेतन तक देनेके लिए तैयार था|

मिस श्लेजीन की योग्यता और शक्ति का मुझे छुछ पता नहीं

था। मि० कैल्ेनवैक नेकह्ाा--“अभी तो इसे मह्दीने के छः पौंढदोजियेगा ।”मैंनेफौरन मजूरकरतिया। शीमरहीमुमे

उनके विनोदी स्वभाव का अनुभव हुआ। पर एक महीने के अन्दर तो मुझे उसने अपने वश मे कर क्षिया। रात और दिन

'जिस समय चाहों काम देती! उसके लिए कोई वात असम्भव या मुश्कित्ष तो थी द्वीनहीं। इस समय उसकी उम्र १६ वर्षकी

, थी | सबकिज्ञ तथा सत्याप्रह्िियों कोभी उसने अपनी निस्यृह्ता तथा सेवाभाव से वश मेंकर क्षिया था। यह कुमारी आफिम

और युद्ध की एफ चौक्ोदार घन गयी | किसी भी काये की नीति