पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२६४

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गोरे सहायक

$ प्रतिष्ठा कीदृष्टि सेदारिकिन को अमस्यान देना चादिए।

उनका परिचय पहले ही देचुका हूँ।उनकी अध्यक्षता में सत्याप्रह

युद्ध को सहायता करनेवाज्े गोरों का स्थायी मंडल्न स्थापित किया

गया था । इस संडक्त ने अपनी शक्तिमर सहायता की थी । युद्ध का रंग जमने पर स्थानोय सरकार के साथ प्रत्यक्ष सत्ञाह मश-

बरा तो कैसे किया जा सकता है१ इसका मूलभूत देतुअसहयोग

नहीं था ।पर सरकार हो अपने कानूतो का भंग करनेवाले सनुष्यों

के साथ सलाद बगैर करना पमन्द नहीं करती थी ।इसलिए इस समय यह गोरों का मंडल सरकार और सत्य/प्रहियों केबीच एक अनुसंधान रूप था।

आलवर्ट काटेराइट का परिचय भी मैंपहले ही दे चुका हूँ। डोक के ही जेसा संबंध रखनेवाले, और बहुत भारी सह्दायता

छुरलेवाले एक और पाद्री सब्जन थे। उनका नाम था रेबरंड चाल्स फिलिप्स | वहुत वर्ष पहले वेट्रान्सवाल में का्रोगेशनत्

मिनिस्टर थे। उनकी सुशीला स्त्री भीउनको बढ़ी सहायता करती | एक तीसरे ख्यातनामा पादरी भी थे। उन्होंने पादरीपन छोड़कर पत्र का सम्पादन प्रहदय किया था। आप ब्लुम फोंदीन मेंप्रका-

शित होनेवाले 'फ्रै्ड' नामक दैनिक के सम्पादक रेवेरंड डुडनी

हैं।उन्होंने गोरों केद्वारा अपमानित होकर सी अपने पत्न भे

भारतीयों का पक्ष किया था | |दक्षिण अफ्रीका केप्रसिद्ध चक्ताओं

मेंउनकी गणना होती थी। इसी भ्रकार प्रिटोरिया न्यूज! के सम्पादक वेरस्टेन्ट भी खुले दिल से भारतीयों की सहायता करते थे । एक बार प्रिदोरिया के टाउनद्वात्ञ मेंवहाँ फे मेञर की अध्यते मेंगोरों कीएकविराट सभा हुईथी। उसका हेतुथा एशिया निवासियों की बुराई और खूनी कानून की हिमायत करना |अकेले वेस्टटेन्ट ने इसका विरोध किया |अध्यक्ष नेउन्‍हेंबैठ जाने