पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२६६

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गोरे सहायक

$. दूसरी मद्िला हैंश्ोलिव आयनर । इस परिवार के विषय में पाँचदें प्रकरण मे लिख गया हूँ। दक्षिण अफ्रोका के उसी विख्यात आायनर कुटुम्त्र में उनका जन्म हुआ था |वेबढ़ी विहुषी

थीं । श्रायनर नाम इतना विख्यात है किजब उनकी शादी हुई तब उनके पति को आरयनर नास अहणण करना पड़ा, जिससे ओलिव का श्रायनर कुटुम्य केसाथ सम्बन्ध दक्तिण अफ्रोका

के गोरोंसेलुप्त न होजाय |यह कोई उनका वृथामिमान नहीं था। मेरा विश्वास हैकि उन महिला केसाथ सरा अच्छा परिचय था । उत्तकी सादगी और मम्नता उनकी विद्व्ता के समान ही उनका आभूषण थी |कभी एक दिन भी उनके दिखा में

यह खयाल नहीं आया कि उनके हवशो नौकर और स्वयं उनके बीच कोई अन्तर है। जहाँ-जहाँ अंग्रेजी भाषा बोलो जाती है, तहाँ-तहाँ उनको 'द्राम्स' नामक पुस्तक आदर के साथ पढ़ी जाती है।-बह गद्य है,पर काव्य की पक्ति में रखने योग्य है। और भी

उसने वहुत-कुछ लिखा है। इतनी विदुषी, इतनी घड़ी लेखिका होने पर भी अपने घर मेंरसोई करना, घर साफ-सुथरा रखना

तथा बन आदि साफ करना आदि कामों सेन तो वह कभी शर्माती और न कभी परहेज करवो थी। उन्तका यह खयाल था कि वह उपयोगी मेहतत उनको लेखन-शक्ति को मन्‍्द करने के

बदले उत्तेजित ही करतो थी, और उनके प्रभाव से साषा मेंएक प्रकार की मयांदा और व्यवस्थितता आ जाती थो |इस मद्दित्ता नेभी दक्षिण अफ्रीका के गोरों में उनका जो कुछ भी चजन था, उसका उपयोग भारतीयों के पक्ष मेंकिया था |

5:- तीसरी महिल्ञा मिस माल्टीनो थी। वे दक्षिण अफ्रीका के पुराने माल्टीनो छुटम्व की बुजुर्ग महिला थीं। उन्होंने भीअपनी शक्तिभर सद्दायता की थी।