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और भी कई भीतरी कठिनाइयाँ
+भजेक्जेंढर को बुलाने के लिए चले गये ये। समाचार सुनते ही / उन्होंने तुरन्त पुलिस का एक दल्ल भेज दिया। पुलिस आयी और मुझेअपने बीच करके पारसी रुस्तमकेमकान पर पहुँचा दियो।
दूसरे दिन पारसी रुस्तमजी ने डवेन के पठानों को इकद्ठा'
किया और उन्हें कहा कि आपको गाघी के बारे मेंजो छुछ शिकायत हो, वह आप प्रत्यक्ष उन्हें यहाँ पर कह दीजिए। मेंउनसे मिला । शांत करन की कोशिश भी कि पर मुझे अब सी विश्वास नहीं होता कि मैंउन्हे शांत कर सका हूँगा। शक की दवा लुक-
मान हकीस के पास भी नहों। में दक्तीक्षों और <4दाहरणों से उन्हे सन्तुष्ट नहीं कर सका। उनके विल्ञ में तोयह बात जम गयी
थी कि मैंने कौम को धोखा दिया है| अतः मेरा समझाना तबतक्
च्यथ था, जबतक यह खयाल उनके दिन से दूर न हो नाता |
उसी दिन मेंफिनिक्स पहुँचा। जो मित्र पिछली रात को गेरी रक्षा करने के लिए इक्ट्र हो गये थे, उन्होंने मुझे अकेला नहीं जाने दिया |कहा हम भी फिनिक्स चलेंगे भेने कहा आप मेरे मना करने पर भी आना चाहेंगे तो में आपको रोक नहीं सकता | पर वहाँ तो जगल हैं। वहाँ के निवासी हमें और
आपको खाने ही को न देंगे तोआप क्या करेंगे ? उनमें से एक ने
कहा हमें ऐसा डर न दिखाइए | इस अपनी व्यवस्था खुद कर लेंगे। और जबतक हस सिपाद्दी का काम करंगे तब तक यदि हम
आपके भंडार को लूट भी लेंतो हमें कौन रोक सकता है| इस प्रकार हम विनोद करते हुए फिनिक्स पहुँचे |इस
दक्ष का मुखिया जैक मुढली था। भारतीयों मेंउसका नाम खूब प्र्यात द्वो गया था। नेदाज्ञ में तामित्ष माता-पिता से उसका जन्म
हुआ था।
पद पघपूँसेबाजी में बड़ा
प्रवीण
था और उसका तथा उसके साथियों का भी यह खयाल था कि