पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२८२

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जनरल स्पट्स का विश्वासघात

हे

शब्द-बाण में ज़हरन थां। किसी अन्य समय भी मुझे इसी प्रकार

पद्दन करना पड़ा था। मैंने कुछ हँस कर उत्तर दिया “आप जिसे मेरा भोलापन समझे हुए हैंबह तो अब मेरे स्वभाव का एक अंग

हो गया है. यह भोलापन नहीं, विश्वास है; और मेंसममता हूँकि विश्वाप्त करना तो मेरा ओर आपका सभी का धर्महै, इसल्षिए यदि

मेरीसेवा सेआपको कोई फायदा होरहा हो,तो मेरी इस रवभावगत बुराई मे--यदि आप इसे घुराई सममे तो--होने वाले नुकसान को भी आपको वरदाश्त कर लेना चाहिए | फिर आपके साथ-साथ

मेंयह नहीं मानता कि जाति का उत्साह सोढा-वाटर की बोतक्ष

के उफान के जैसा है। जाति भे आप भी है ओर मेंभो। यदि मेरे उत्साह को आप ऐसा विशेषण दें, तो मेंइसे जरूर अपना अपमान समझेूँगा । मुझे विश्वास हैकि आप भी अपने को उस नियम के अपवाद-रूप ही मानते होंगे। अगर आप अपने को

स्थिरोत्साह न मानते हों, ओर साथ ही यदि आप अपने ऊपर से कौम के उत्साह का अनुमान फरते हों, तो उस द्वाल्त मेभी उपयुकक झनुमान द्वारा आप जाति का अपमान ही कर रहे हूँ। ऐसे महान युद्ध मे ज्वार-भाटा तो आता ही रहता है |हम चाद्दे कितनी ही सावधानी रखे, पर यदि प्रति पक्षी हमारे साथ विश्वास-घात

ही करने पर तुशा हुआ हो, तो हम उसे किस तरह रोक सकते ९ इसी मंढल मे ऐसे कई लोगहैं.जोनालिश करने के लिए मेरे पास प्रॉमिसरी नोट्स लाते है ।अपने दस्तख़त तक दे करके जिसने अपने को वॉब लिया है, ऐसे आदमी के साथ हम और

कितनी सावधानी कर सकते हैं ?पर फिर भी हमें अदालत सें

उससे क्ड़ना ही पड़ता है। वह सामना करता है, अतेक प्रकार से बचाव करता है, फेसला होता है. ओर सजाये भी ठोक दी जाती हैं। इस तरह की घटनाओं के लिए भी कहीं कोई दवा