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दक्षिण अफ्रिया का सत्याप्रह

फितने दी समय बाद फाछलिया प्रभ्यत्त हुए। और नाढर होने -

के पहले इसके बाद और भी फितना ही समय बीत गया।

अब दम कमिटी के परिणामों पर विचार कर । इस मीर्टिंग

के बाद मैंने जनरल स्मटस को इस शआशय का एक पत्र किया

कि उनका वह नवीन वक्तव्य सुज्ह का भंग ऊरता है । अपने

पत्र मे मैंने उनके उस भापण की ओर भी उसका ध्यान आउपिंत

किया, जो सुलह के वाद एक सप्ताह के श्रन्द्र ही ौन्दोंने € एशियाबासी ) मुझे एशियाटिक कानून रद फरने के लिए फह्द दिया था | उस्त भाषण में उन्होंने येशब्द कहे थे--“ये लोग

रहे ह। जब तऊ ऐच्चिक परवाने दे नहीं ले लेते

तब तक उस फानून फो रद करने से मैंने इन्कार किया है ।” श्रधिफारी लोग प्राय ऐसी बातों का जवाब नहीं देते जो उन्हें उज्लकम में डालती

है। अगर देते भी हैं तोगोल मोल ।जनरल स्मट्स इस कला भे

सिद्धहस्त हैं। उन्हे श्राप चाहे जितना लिखें, उनके विरुद्ध चादे

जितने भाषण करें, पर यदि वे उत्तर देना नहीं चाहेगे तो उत्तर में

उनके मुंदसे एक शब्द भी मिक्‍्लबाना श्रसम्भव है। सभ्यता कां यह सामान्य नियम्र उनके लिए बन्धनकारक नहीं हो सकता था कि श्राप्त पत्रों काउत्तर देना ही दाहिए। इसलिए अपने पत्र के उत्तर से मुझे किसी प्रकार का सन्तोप प्राप्त नहीं हो सका।

अल्वर्ट काट राईट हमारे मध्यस्थ थे। मैं उनसे मिल्षा, वह स्वच्ध हो गये, और मुझसे कहने लगे “सचम आदी को समम ही नहीं सकता। एशियाटिक कानूुच में इस न को रद करने चाक्ती वात मुझे बिलक

ुल टीक-ठीक तरद से याद मुझ अल ज ०8 जरूरहैक। पर आप जानते हूँहै। कि जहाँ शा एक बात कोपकड़लेता हैतहाँ फिर दूसरेकी नहीं चत्॒दी। भखबा रों के लेखों की त्तोकेज़रा भी परवा नहीं