पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२९०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

जनरल स्मट्स का विश्वासघात

4

जरता। इसलिए मुझे पूरा डर हैकि मेरी सहायता का आपको कोई

उपयोग न होगा।” हास्किन वगेरा से भी मेंमिला। उन्होंने जनरल प्ादस को एक पत्र लिखा। उन्हें भी वड़ा हीअसंतोपकारक उत्तर

मिल्ला। मैंनेइस्डियन ओपीनियन मे भी'विश्वासघातशीपक कई लेख लिखे पर जनरल स्मट्स क्‍यों इन वातों की परवाह करते तत््ववेत्ता अथवा निष्ठुर मनुष्य के लिए आप चाहे जितने कड़॒वे विशेषणों का प्रयोग कर ,उन पर कोई असर न होगा। थेतो अपना

निश्चित काम करने मे मस्त रहते हैं। मेंनहीं जानता कि जनरल स्मटस के लिए इन दो विश्वेषणों मेंसे किस विशेषण का उपयोग ठीक हो सकता है। यह तो मुझे जरूर कबूल करना द्वोगा कि उनको वृत्ति मेंएक तरह की 'फिलासफी'--सिद्धान्त-निष्ठा है । मुझे याद है किजिस समय हमारा पत्र-व्यवद्दार जारी था,

अखबारों मे लेख लिखे जा रहे थे, तब तो मैंउन्हेंनिष्ठुर हीसमभंता था। पर अभी तो यह युद्ध का पूर्वार्ध-- केवल दूसरा वर्ष था, युद्ध तोआठ वर्ष तक जारी रहा । इस वीच मे मेंउनसे कईबार मिलना ।बाद की हमारी बातों से मेरा यह खयाल कुछ बदल गया,

और मैंनेमहसूस किया कि जनरल स्मट्स की धूतंता के विपय में दक्षिण अफिक्रा में वनी हुईं सामान्य धारणा में कुछ परिवर्तन दोना ज़रूरी है। दोवात मेंपूरी तरह समझ गया। एक तो यह्‌ कि उन्होंने अपनी राजनीति के विषय मे एक सा्ग निश्चित कर

लिया है, भोर बह केवल अनीतिमय तो हरगिज्ञ नहीं |पर साथ

ही मैंने यह भी देख लिया कि उनके राजनीति-शालत्रमेचाज्नाकी

के लिए ओर मौका पड़ने पर सत्याभास के ल्षिए भी स्थान है |»

>यह छुपते हुए हम यह जान गये कि जनरत्न स्मद्स की सर»

दारीकाभीअन्तहोसकताहै। है ।

शा मो० क० गांधी