पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२९२

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युद्ध की पुनरावृत्ति

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अपनी दरस्वात्त भेजी। नतीजा कुछ न निकला । अन्त में सत्या ग्रहियों ने 'अल्टिमेटम! भेज्ञा। 'अल्टिमेटम' केमानी हैंवह निश्चय-

पत्र याधमकी-पत्र, जो युद्ध करने के हेतु सेहीभेजा जाता है। कौम ने 'अल्टिमेटमः शब्द का उपयोग नहीं किया था। पर कौम की तरफ से अपना निश्चय जाहिर करने वाला जो पत्र गया था, उसका परिचय जनरल स्मदस ने धारा-सभा में “अल्टिमेटस!

नाम से दी दिया। साथ दी यह भी कहा कि “जो लोग सरकार

को इस तरह धोंस बताने जा रहेहूँ, उन्हें सरकार की शक्ति का अनुमान नहीं है। मुझे दुःख तो केवल इसी बात का होरहा हैकि कितने हीउपद्रवी ल्ोग(एजिटेटर)गरीब भारतीयों को उकसा रहेहैं। यदि गरीब लोगों पर उनका प्रभाव पड़ा तो वेबरबाद हो जावेगे।”? अखबारों के संवाद-दाताओं ने इस प्रसंग का वर्णन करते हुए

लिखा हेकि घारा-सभा के कई सदस्य “अल्टिमेटम? का नाम सुनते ही आग-बवूला हो गये। उनकी आँखों में खून उत्तर आया, और उन्होंने जनरल स्मटस द्वारा पेश किया गया मसबिदा एक मत से मंजूर कर्रालया ।

उपयु क्त अल्टिमेटम! मेकेवल यही बाते थीं---/जनरल स्मट्स और भारतीय जनता के बीच जो समझौता हुआ था, उसमे मुख्य बात यही थी कि भारतीय यदि ऐच्छिक परवाने ले ले' तो उन्रको काननन्‌ करार देने के लिए धारासभा मे एक ससविदा पेश किया

जाय, और एशियाटिक कानून रद किया जाय | यह तो निर्विवाद सिद्ध है! कि भारतीयों ने ऐच्छिक परवाने ठीक उसी

तरह लेलिये जैसा कि सरकारी श्रधिकारीनाण चाइते थे। इसलिए

अब एशियाटिक कानून तो अवश्य हो रद होना चाहिए ।

कोम ने जनरक्ष स्मद्स से इस विषय में खब लिखा पढ़ी की। अलावा इसके, न्याय प्राप्त करने केलिए जितने भी कुछ अन्य