पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२९३

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दक्षिण अ्र्रिफा का सत्याग्रह

उपायों का अवल्म्बन करना जरूरी और उचित था, वह सव हु,

कर गुजरी | पर उसका यह सारा प्रयत्त निधकज्न हुआ | मसविदा

धारासभा मे स्त्रीकृत होने हीको है, इस समय कौम मे जो

अशान्ति और रक्त ना फैली हुईहैउसको सरकार पर जाहिर कर

देना नेताओं का कतैब्य हे |श्रतः अब हमे दुःख के साथ यह कहना पढ़ता हैकि यदि सममौते की शर्तों केअतुसार एशियाटिक कानून रद नहीं क्रिया गया, और यदि ऐसा करने के संस्यत्ध

में उसके निश्चय की खबर एक नियत समय से पहले कौम को ने सिल्ली तो वह उन तमाम परवानों को. जला देगी, जिनको ह्सने एकत्र कर रक्‍खा है, ओर यह करने पर उस पर ज्ञो जो मुमीव्रत

आयेगी उन सबको वह विनय और दृढ़तापूरक सह क्षेगी ।”

यह कागज एक तो इसलिए “अह्टिमेटमः कद्दा गया कि उसमें

जवाब के लिए समय वहा दिया गया था। और दूसरा कारण यह था कि गोरों का साधारणतया यही खयाल था कि हिन्दुस्‍्तानो

लोग जंगज्ञी होते हैं ।अगर गोरे ज्ञोग भारतीयों फो अपने दी

जैसा सममते, तो वे इस कागज को विनय-पत्र कहते, भर उसपर

गौर करते । पर गोरो का यह जंगलीपनकाखयाल द्वी भारतीयों

के लिए ऐलला कागज लिखने के लिए काफी कारण था। अब कौम के सामने दो समस्‍्याये थीं, एक तो यद्द कि खुद फो जंगली समझा कर वह हमेशा के लिए दवी रहे,और दूसरी यह कि जंगलीपन को असत्य सावित करनेवाला फोई असल काम करके दिखा दे

और इस दिशा मे सब से पहला कदम यही कागज था। हाँ, यदि|

कौम ने उस पर अमल करने का द॒द्‌ निम्नय न किया होता, तों जरूर ही वह उद्धत समझा जाता और यह साबित होता कि भारतीय अविच ारी तथा भनघड़ है |